अतीक अशरफ हत्याकांड में बयान शुरू
प्रयागराज ब्यूरो । आखिरकार अतीक अशरफ हत्याकांड में बयान दर्ज होना शुरू हो गया। गुरुवार को इस हत्याकांड के पहले चश्मदीद गवाह तात्कालीन थाना प्रभारी का बयान दर्ज किया गया। वीके मिश्रा की फास्ट ट्रैक कोर्ट में तीनों आरोपितों को वीडियो कांफ्रेसिंग से पेश किया गया। हालांकि कोर्ट में पहले गवाह का बयान पूरा दर्ज नहीं किया जा सका। इसलिए कोर्ट ने आगे का बयान दर्ज करने के लिए 27 अगस्त की डेट फिक्स की है।
15 अप्रैल को हुई थी हत्या
अतीक और अशरफ को 15 अप्रैल 2023 को काल्विन अस्पताल में मार दिया गया था। माफिया ब्रदर्स को उमेश पाल हत्याकांड में रिमांड पर लिया गया था। दोनों भाई को जेल से लाया गया था। अतीक उस समय साबरमती जेल गुजरात में बंद था, जबकि अशरफ बरेली जेल में बंद था। दोनों भाइयों को धूमनगंज पुलिस ने रिमांड पर लिया था। पुलिस 15 अप्रैल की रात को काल्विन अस्पताल में नियमित जांच के लिए ले गई थी। इस दौरान वह दोनों अस्पताल की बिल्डिंग से बाहर निकल रहे रहे थे। बिल्डिंग के बाहर कंपाउंड में मीडिया कर्मियों की भीड़ थी। दोनों भाई मीडिया कर्मियों के सामने आकर खड़े हुए। तभी मीडियाकर्मियों की भीड़ से लवलेश तिवारी, अरुण मौर्या और शनि सिंह बाहर आ गए। तीनों अशरफ की तरफ बायीं ओर जाकर खड़े हो गए। इसके बाद अचानक पिस्टल निकाल कर फायरिंग करने लगे। दोनों भाइयों को 21 राउंड गोली लगी। दोनों ने मौके पर ही दमतोड़ दिया। घटना की वक्त दोनों भाई धूमनगंज पुलिस की कस्टडी में थे। तात्कालीन थाना प्रभारी राजेश मौर्या के साथ बीस पुलिसकर्मियों की टीम दोनों भाइयों की सुरक्षा में थी। ऐसे में इस घटना में पहला गवाह तात्कालीन धूमनगंज थाना प्रभारी राजेश मौर्या को बनाया गया।
इंस्पेक्टर राजेश मौर्या ने कोर्ट को पूरा क्राइम सीन बताया। जिसमें अचानक हुए घटनाक्रम का जिक्र किया गया। बताया गया कि कैसे अचानक तीनों ने पिस्टल निकाल कर फायरिंग शुरू कर दी। घटनाक्रम इतनी तेजी से हुआ कि पुलिस को बचाव का मौका ही नहीं मिल सका। हाल ये था कि पुलिस को खुद अपनी जान बचाने के लिए भागना पड़ा। कोर्ट ने अगली डेट पर आगे के बयान के लिए इंस्पेक्टर राजेश मौर्या को तलब किया है।
अतीक अशरफ हत्याकांड में पहले गवाह का बयान दर्ज किया गया है। इसी के साथ इस घटना में गवाहों के बयान दर्ज करने की प्रक्रिया शुरु हो गई है। अभी बयान बाकी है, कोर्ट ने 27 अगस्त की डेट लगाई है।
गुलाबचंद्र अग्रहरि, शासकीय अधिवक्ता