विभाग पर भारी पड़ रहे अतीक के 'खबरीÓ हटाये गये
प्रयागराज ब्यूरो । उमेश पाल हत्याकांड में जिले में तैनात आठ पुलिसकर्मियों ने माफिया डॉन अतीक की मदद की। इन पुलिसकर्मियों पर गोपनीय सूचना अतीक तक पहुंचाने का आरोप है। यह खुलासा उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा उच्च स्तर पर कराई गई गोपनीय जांच में हुआ है। इसके बाद डीजीपी ने इन सभी आठ पुलिसकर्मियों को प्रयागराज से हटाकर दूसरे जिलों में तैनाती के आदेश दिए हैं। इसी के लिए इन पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय जांच के लिए भी निर्देशित किया गया है। इनमें एक इंस्पेक्टर, तीन दरोगा और चार कांस्टेबल शामिल हैं। यह जांच यही नहीं रुकी है। कईयों की जांच अभी भी गोपनीय ढंग से चल रही है। इसमें रडार पर क्राइम ब्रांच के सिपाही व थाने से अटैच ड्राइवर-मुंशी हैं। जिनपर कार्रवाई होना तय माना जा रहा है। जो शांति से बैठकर माफिया के खबरी का काम कर रहे हंै। अब ऐसे में जल्द एक्शन हो सकता है।
लीक कर रहे सूचनाएं
बता दें कि उमेश पाल हत्याकांड में दर्ज एफआईआर में मुख्य आरोपी बाहुबली नेता अतीक अहमद को बनाया गया है। इसके अलावा मुकदमे में अतीक के भाई अशरफ, बीबी शाइस्ता परवीन व बेटे आदि भी आरोपी हैं। इस मामले में पुलिस ने अब तक दो एनकाउंटर किया है। इसमें दो बदमाशों की मौत हो चुकी है। बावजूद इसके मुख्य शूटर अभी भी पुलिस की पकड़ से दूर हैं। आशंका है कि इन पुलिसकर्मियों द्वारा सूचना लीक किए जाने की वजह से इस मामले के खुलासे में पुलिस की मुश्किलें बढ़ गई। सूत्रों का दावा है कि घटना को अंजाम देने के बाद शूटर्स चार घंटे तक जिले के अंदर ही मौजूद थे। उनको पुलिस द्वारा हो रहे हर एक मूवमेंट के बारे में जानकारी मिल रही थी। इसकी वजह से आरोपी फरार होने में सफल हो गए थे। इस फेल्योर के बाद ही पुलिस ने उच्चस्तरीय जांच कराई थी।
इनपर हुई है कार्रवाई
प्रयागराज से हटाए जाने के बाद धूमनगंज थाने के कोतवाल इंस्पेक्टर वजीउल्ला को मुरादाबाद ट्रेनिंग सेंटर भेज दिया गया है। इसी प्रकार पुरामुफ्ती थाने में तैनात दरोगा शमी आलम को पीटीसी मेरठ और दरोगा उबैदुल्ला अंसारी को पीटीसी जालौन भेजा दिया गया है। करेली थाने में तैनात दरोगा इबरार अहमद को सशस्त्र पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालय सीतापुर तथा सिपाही फारूक अहमद को शाहजहांपुर, बाबर अली को कानपुर देहात, मोहम्मद महफूज आलम को ललितपुर जिले के लिए रवाना किया गया है तो अयाज खान को बदायूं जिले में ट्रांसफर किया गया है। इस कार्रवाई को लेकर पुलिस विभाग व आम जनता के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। सूत्रों की माने तो जिले में कई मठाधीश सिपाही हैं जो अक्सर चर्चाओं में आ जाते हैं।
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक जांच में पाया गया है कि कुछ पुलिसकर्मी उमेश पाल मर्डर केस के बाद भी माफिया अतीक के संपर्क में हैं। ये पुलिसकर्मी महकमे की गोपनीय सूचना अतीक के गुर्गों तक पहुंचाते थे। यहां तक कि पुलिस के अगले एक्शन की जानकारी भी निकालकर पहुंचाते थे। इसकी वजह से ही मेरठ में हुई दबिश फेल हो गई थी। इस रिपोर्ट को डीजीपी ने बेहद गंभीरता से लिया था।