सनातन धर्म-संस्कृति को समर्पित रहा जीवन
-साधु-संतों ने विहिप नेता के निधन पर व्यक्त की संवेदना, उनके प्रयासों को भी सराहा
ALLAHABAD: जीवनभर सनातन धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए लडने वाले विहिप नेता अशोक सिंहल के निधन पर साधु-संतों ने संवेदनाएं व्यक्त की है। उन्होंने सिंहल द्वारा उठाए गए मुद्दों का निराकरण सरकारों द्वारा बिना किसी भेदभाव के किए जाने की मांग की है। साथ ही जीवन भर उनके द्वारा किए गए प्रयासों को भी जमकर सराहा। रग-रग में समाया था हिंदुत्व अशोक सिंहल ¨हदुत्व के कट्टर समर्थक थे। जीवनभर उन्होंने सनातन धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए लड़ाई की। उनका निधन देश और हिंदुओं के लिए बड़ी क्षति है। उन्होंने राम मंदिर निर्माण व गौ, गंगा व गायत्री के संरक्षण का जो मुद्दा उठाया था, सरकार को उसका निराकरण कराना चाहिए। शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती सरकार और दल एक मंच पर आएंश्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के नायक अशोक सिंहल जीवनभर सनातन धर्म की रक्षा के लिए अपनी आवाज उठाते रहे। ¨हदुओं के लिए सिंहल का निधन अपूरणीय क्षति है। उन्होंने राम मंदिर का जो सपना देखा था उसे सरकार व हर दल को बिना किसी भेदभाव के पूरा करना चाहिए।
जगद्गुरु स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती संतों के प्रति अगाध श्रद्धाअशोक सिंहल सनातन धर्म के सच्चे रक्षक थे। संतों के प्रति उनके मन में अगाध आस्था थी। इसीलिए उनका सभी साधु संत अधिक सम्मान करते थे। ¨हदुत्व का समर्थक होने के बावजूद वह सामाजिक समरसता के लिए आजीवन काम करते रहे।
महंत नरेंद्र गिरि, अध्यक्ष अखाड़ा परिषद हिंदुओं को एकजुट करने का प्रयास ¨हदुत्व के सच्चे रक्षक के रूप में अशोक सिंहल को हमेशा याद किया जाएगा। उन्होंने ¨हदुओं को एकजुट करने का सफल प्रयास किया। सिंहल ने सनातन धर्म का जो कार्य अधूरा छोड़ा है, उसे पूरा करने का सामूहिक प्रयास होना चाहिए। स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्माचारी, महंत टीकरमाफी आश्रम मेरी व्यक्तिगत क्षति अशोक सिंहल का निधन मेरी व्यक्तिगत क्षति है। हिंदुत्व की रक्षा के लिए वह हमेशा सक्रिय रहे। अक्सर मेरी उनसे अनेक मुद्दों पर चर्चा होती थी। गौ, गंगा, गायत्री की रक्षा व श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का उन्होंने जो सपना देखा है, संत समाज उसे हर हाल में पूरा करवाएगा। स्वामी ब्रह्माश्रम, महामंत्री अखिल भारतीय दंडी संन्यासी समिति नहीं किया किसी का अहित उन्होंने जीवनभर हिंदुत्व की रक्षा के लिए जो किया, उसमें कभी किसी का अहित नहीं हुआ। कर्मयोगी एवं धर्मयोगी अशोक सिंहल का दुनिया से जाना भारत की अपूर्णीय क्षति है। इसकी भरपाई किसी कीमत पर नहीं हो सकती। योगगुरु स्वामी आनंद गिरि