सावन में भगवान शंकर की अराधना के साथ मोहर्रम की मजलिस का भी हिस्सा होते हैंसबसे बड़ा धर्म इंसानियत का है. इंसानियत के साथ आस्था हो तो इन्सान किसी भी धर्म का हो इन्सानियत की झलक कहीं न कहीं दिख ही जाती है. लोकनाथ एरिया में रहने वाले अरविंद गुप्ता इसके मजबूत उदाहरण हैं. वह हिन्दू धर्म मानते हैं उनके हृदय में इमाम हुसैन के लिए भी अगाध श्रद्धा है. उन्होंने अपने घर के भीतर ही इमामबाड़ा सजा रखा है और उनके यहां आकर तमाम लोग सजदा भी करते हैं.


प्रयागराज (ब्यूरो)। गुड़मण्डी के रहने वाले अरविंद गुप्ता के दिलों मे जहाँ देवी देवताओं मे अटूट आस्था है तो वहीं करबला के मैदान मे तीन दिन के भूखे प्यासे और इन्सानियत की खातिर अपने पुरे घर को राहे हक़ मे क़ुरबान करने वाले नवासा ए रसूल हजऱत इमाम हुसैन की भी दिल में जगहा बराबर से है। यही वजहा है की उनकी चार पीढ़ी से अज़ादारी का सिलसिला लगातार जारी है और शिया समुदाय का बुज़ुर्ग ,नौजवान हो या छोटा बच्चा चाँद के नमुदार होते ही सिलसिलेवार मजलिस के बाद गुड़मंडी के गुप्ता परिवार के इमामबाड़े मे ज़रुर जाता है। बकायदा गुप्ता परिवार की यह चौथी पीढ़ी चाँदरात से इमामबाड़े की साफ सफाई रंग रौगन के साथ इमामबाड़े में पाक साफ होकर अलम सजा कर फरशे अज़ा बिछा कर मोमनीन का इन्तेज़ार करती रहती है। इस मजलिस के लिए खास तौर से कलकत्ता में रहने वाले अरशद मजदूर पूर्व स्वतंत्रता सेनानी मुबारक मज़दूर के पौत्र मजलिस पढऩे चाँद रात को ही प्रयागराज आ जाते हैं। बांटते हैं तबर्रुक
अन्जुमन ग़ुन्चा ए कासिमया के प्रवक्ता सैय्यद मोहम्मद अस्करी के अनुसार गुप्ता परिवार का हर एक सदस्य अपने कारोबार को छोड़ कर मजलिस के समय इमामबाड़े के बाहर खड़ा रहता है और सभी को मजलिस के बाद अपने हाथों से (प्रसाद) तबर्रुक देता है। 7वीं मोहर्रम को पानदरीबा इमामबाड़ा सफदर अली बेग से उठने वाला दुलदुल भी आधे शहर में जहाँ गश्त करते हुए लेजाया जाता है वहीं गुप्ता परिवार के इमामबाड़े में भी दुलदुल ले जाया ताता है। घर की महिलाएँ और पुरुष पाक साफ होकर दुलदुल के इस्तेक़बाल को गली के मुहाने पर आकर देर रात तक खड़े रहते हैं।

Posted By: Inextlive