एआरवी नहीं है मौजूद, कैसे बचेगी जिंदगी
जिले के एक मात्र हॉस्पिटल में हैं रेबीज इंजेक्शन की सुविधा
बढ़ रहे डॉग बाइट के पेशेंट,सीएचसी-पीएचसी में नहीं लग रही एआरवी डाग्स ब्रीडिंग सीजन में भी स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी जारी है। इस सीजन में डॉग बाइट के मामले अचानक बढ़ जाते हैं। बावजूद इसके सीएचसी-पीएचसी में एआरवी (एंटी रैबीज वैक्सीन) मौजूद नहीं है। इसकी वजह से बेली हॉस्पिटल में एआरवी लगवाने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। जितने कि रोजाना अन्य बीमारियों के ओपीडी में मरीज नहीं आते, उससे ज्यादा एआरवी लगवाने पहुंच रहे हैं। सुबह से लग जाती है लाइनबेली हास्पिटल में इस सीजन में रोजाना सुबह से एआरवी लगवाने वालों की लंबी लाइन लग जाती है। इसके बाद यह क्रम दोपहर बारह बजे तक चलता रहता है। इस बीच रोजाना औसतन 150 इंजेक्शन लगते हैं। कभी-कभी इससे अधिक डाग बाइट के पेशेंट पहुंच जाते हैं। इससे हॉस्पिटल प्रशासन भी त्रस्त है। लेकिन क्या करें? जिले की तमाम ग्रामीण एरिया के सरकारी हॉस्पिटल्स में एआरवी की डोज मौजूद नही है।
ब्रीडिंग सिस्टम में भी लापरवाहीइस सीजन में जुकाम, बुखार, पीलिया, निमोनिया आदि बीमारियों से ज्यादा कुत्ते खतरनाक हो चुके हैं। ब्रीडिंग सीजन होने की वजह से रोजाना सैकड़ों आदमी इनका शिकार हो रहे हैं। हालात यह है कि कोटवा, हंडिया, जसरा, नैनी आदि किसी भी एरिया में कुत्ता काटे तो सुई लगवाने के लिए बेली हास्पिटल ही आना पड़ता है।
आखिर क्यों बंद है सप्लाई स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले के तमाम हॉस्पिटल्स में एआरवी के इंजेक्शन सप्लाई किए जाते हैं। लेकिन पिछले कुछ समय से ऐसा नही हो रहा है। केवल बेली में ही सप्लाई हो रही है। काल्विन हॉस्पिटल में भी रविवार को वैक्सीन पहुंची और इसका लगना एक-दो दिन में शुरू होगा। जबकि इस सीजन में तमाम सीएचसी-पीएचसी में एआरवी का उपलब्ध रहना बेहद जरूरी है। अगर कोई एआरवी लगवाने से चूक गया तो उसकी जान भी जा सकती है। मंगलवार को किस ओपीडी में कितने मरीज ओपीडी मरीजों की संख्या मेडिसिन 133 हड्डी 123 सर्जरी 57 सीए डिटेक्शन 11 नेत्र 108 डेंटल 39स्किन 81
ईएनटी 1 पीडियाट्रिक्स 14 न्यूरो सर्जरी 1 डी टाइप 1 इमरजेंसी 84 फिल्टर क्लिनिक 13 टोटल 660 कुल एआरवी पेशेंट- 140 एक्सरे- 40 पैथोलाजी- 109 तीन दिन होती है सर्वाधिक भीड़ बेली हॉस्पिटल में सप्ताह के तीन दिन एआरवी के पेशेंट की संख्या 150 से अधिक हो जाती है। इसका कारण है कि सोमवार को आए नए मरीजों को अल्टरनेट बुलाया जाता है। इनको चरणवार वैक्सीन लगाई जाती है। ऐसे में सोमवार को आने वाले मरीजों को दो से तीन दिन के अंतर पर बुलाया जाता है।यहां गांव से भी अधिक संख्या में लोग वैक्सीन लगवाने आते हैं। पहले गेट नंबर एक पर एआरवी लगवाई जाती थी लेकिन अब कोरोना जांच होने के चलते ट्रामा सेंटर पर यह व्यवस्था की गई है। सुबह से लेकर बारह बजे तक रैबीज की सुई लगवाने वालों की लाइन लगी रहती है।
डॉ। एमके अखौरी, अधीक्षक, बेली हॉस्पिटल