एंग्री यंग मैन बना रहा मेंटल ब्रेक डाउन
प्रयागराज (ब्यूरो)। फाफामऊ के रहने वाले दीपक (परिवर्तित नाम) की उम्र 29 साल है। वह एमबीए पास है लेकिन ढंग की नौकरी नही मिलने से वह लगातार अवसाद में जा रहे हैं। पिछले दिनों उन्होंने अपने दोस्तों से झगड़ा कर लिया। जब इसकी खबर पैरेट्स को लगी तो उन्होंने एक्सपर्ट से कांटेक्ट किया। डॉक्टर्स ने उनकी काउंसिलिंग कर उन्हे शांत रहने को कहा है।
एग्जाम्पल टू
काम्या (परिवर्तित नाम) की शादी हाल में हुई है। ससुराल में उनके संबंध ठीक नही चल रहे हैं। पिछले दिनों वह मायके लौट आईं। घर वालों ने समझाया लेकिन वह जाने को तैयार नही हैं। पति का कहना है कि वह बात-बात पर गुस्सा करती है। मायके वाले काम्या के बिहेवियर को लेकर डॉक्टर से संपर्क कर चुके हैं। जल्द उसका इलाज शुरू होगा।
एग्जाम्पल थ्री
पेशे से साफ्टवेयर इंजीनियर ताहिर (परिवर्तित नाम) आजकल काफी परेशान हैं। उनकी घर और बाहर सब जगह किसी से नही बन रही। अचानक कुछ महीनों से उन्हे चिड़चिड़ापन और गुस्सा अधिक आ रहा है। फिलहाल वह डॉक्टर के संपर्क में है और कुछ दवाएं लेने से उनको मानसिक रूप से आराम मिला है।
लगातार बढ़ रही है संख्या
ऐसे मामले सबसे ज्यादा 25 से 40 साल की एज के लोगों में अधिक सामने आ रहे हैं। जबकि माना जाता है कि इस एज में लोग अधिक कूल और धैर्यवान होते हैं। लेकिन बदलते सामाजिक परिदृष्य और अन्य कारणों से लोग अपना धैर्य खोते जा रहे हैं। ऐसे मामले काल्विन अस्पताल स्थित मानसिक स्वास्थ्य केंद्र में तेजी से आ रहे हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि महीने में दस से पंद्रह ऐसे मामले आने लगे हैं। जो कि एक बड़ी संख्या है।
बात-बात पर गुस्सा आना।
मन का शांत नही रहना।
किसी की बात पसंद नही आना।
छोटी छोटी बात पर लडऩे को तैयार रहना
हर बात पर मान-सम्मान को आड़े ले आना।
टीवी और इंटरनेट पर मारधाड़ वाली मूवी पसंद आना।
बातचीत में गाली गालौज करने का मन करना।
हर व्यक्ति को शक की निगाह से देखना।
बात बात पर सामने वाले का अपमान करने का मन बनाना।
कारणों का पता लगाना जरूरी
किसी के अधिक गुस्सैल या चिड़चिड़े होने के कई कारण हो सकते हैं। इसमें सामाजिक, आर्थिक, पारिवारिक कारण शामिल हैं। एक्सपट्र्स का कहना है कि कोविड आने केबाद ऐसे मामले बढ़ रहे हैं। युवावस्था में आमतौर पर परिवार, पत्नी और सोसायटी की ज्यादा उम्मीदे होती हैं। लेकिन इस पर खरे नही उतर पाने से लोगों की उपेक्षा का सामना करना पड़ता है। इसकी वजह से व्यवहार में तेजी से बदलाव होता है। कोरोना काल में ऐसे हालात पहले से अधिक गंभीर हो गए हैं।
डॉ। राकेश पासवान
मनोचिकित्सक