Allahabad: 'मैं अपनी स्क्रिप्ट लेकर कई प्रोड्यूसर्स के पास गया. सब मेरी स्क्रिप्ट देखते और उसकी खूब तारीफ करते. लेकिन कोई इस पर फिल्म बनाने केलिए तैयार नहीं हो रहा था. मुंबई से लेकर दिल्ली तक के प्रोड्यूसर्स के चक्कर लगाए. आजकल हर प्रोड्यूसर सिर्फ कामर्शियल फिल्में ही बनाना चाहता है. सभी को बस पैसा कमाने की पड़ी है. पीरियड बेस्ड और पैट्रिओटिक फिल्मों में तो जैसे प्रोड्यूसर्स का इंट्रेस्ट ही नहीं रहा.Ó यह कहना है फिल्म जय जवान जय किसान के स्क्रिप्ट राइटर धीरज मिश्रा का. धीरज इलाहाबाद डिस्ट्रिक्ट के ही रहने वाले हैं. फिल्म की शूटिंग के लिए वह सिटी में आए तो आई नेक्स्ट ने उनसे खास बातचीत की.


The very first movie on Shastri jiफाइनली दिल्ली के प्रोड्यूसर मदनलाल खुराना इस पर फिल्म बनाने के लिए तैयार हो गए। वह फिल्म में चंद्रशेखर आजाद का रोल भी प्ले कर रहे हैं। इस फिल्म की थीम वैसे तो देशभक्ति है। इसमें लाल बहादुर शास्त्री की लाइफ के उन पहलुओं को टच किया गया है जिन्हें आज तक बॉलीवुड इग्नोर करता आया है। फिल्म में शास्त्री जी के बचपन के स्ट्रगल को ज्यादा फोकस किया गया है। यह काफी इंस्पायरिंग भी है। शास्त्री जी का रोल एज ग्रुप के हिसाब से चार अलग-अलग लोगों ने प्ले किया है।Film for all age groups


यह फिल्म हर एज ग्रुप को अट्रैक्ट और इंस्पायर करेगी। शास्त्री जी का बचपन जहां बच्चों को लुभाएगा वहीं उनका टीन एज का रोल टीनएजर्स का सोर्स ऑफ इंस्परेशन बनेगा। उनका आठ से 15 साल के बीच का एज पीरियड काफी स्ट्रगलिंग रहा है। यह टीन एजर्स के लिए काफी इंस्पायरिंग होगा। उनका जवानी और पॉलिटिकल टाइम पीरियड यूथ और उससे अपर एज ग्रुप के लिए मिसाल बनेगा। फिल्म सबके लिए इंपार्टेंट होगी।It has four songs

फिल्म को कॉमर्शियल टच देने के लिए इसमें चार सांग्स भी डाले गए हैं। रूपेश गिरी के म्यूजिक पर सभी पैट्रिओटिक सांग्स हैं। टाइटल सांग जय जवान बोलो, जय किसान बोलो काफी अच्छा और जोशीला है। देशप्रेम के गहने से सजके चली है भारत मां जावेद अली ने गाया है। वहीं विनोद राठौर ने कोयल की कूक सी उसकी बोली गाया है। ओम पुरी तुरन्त मान गएफिल्म के लिए बड़े आर्टिस्ट को तैयार करने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी। स्क्रिप्ट सुनकर ओमपुरी ने डॉ। राजेन्द्र प्रसाद के रोल के लिए तुरंत हां कर दी। गोविन्द बल्लभ पंत के रोल के लिए प्रेम चोपड़ा को थोड़ा मनाना पड़ा। वहीं रति अग्निहोत्री, शालिनी अरोड़ा और इमरान हंसी को भी स्टोरी पसंद आई और इन लोगों ने हां कर दी। शास्त्री जी का आठ से 15 साल एज ग्रुप का रोल इलाहाबाद जिले के राजपुर गांव के रोहित तिवारी ने किया है। गांधी जी के निजी सचिव महादेव देसाई का रोल सिटी के कांग्रेस लीडर जावेद उर्फी ने किया है।  और मैं भावुक हो उठा

मैंने तीन साल तक गांधी, नेहरू, शास्त्री जी और इंदिरा जी के बारे में 18 बुक्स पढ़ी। तब जाकर स्क्रिप्ट के लिए बेस तैयार हो सका। मेरे दादाजी फ्रीडम फाइटर थे। वह 1942 में मूवमेंट के दौरान सिक्स मंथ नैनी जेल में थे। पिताजी से मूवमेंट के बारे में काफी किस्से सुन रखे थे। इसीलिए नैनी जेल में शूटिंग के दौरान मैं काफी भावुक  हो गया। Report by: Arvind Kumar Dwivedi

Posted By: Inextlive