आनन्द गिरि की आवाज के परीक्षण का रास्ता शुक्रवार को साफ हो गया. इसके लिए सीबीआई द्वारा दी गई अर्जी को सीजेएम हरेंद्र नाथ की अदालत ने स्वीकार लिया है. कोर्ट ने आदेश दिया है कि जेल मैनुअल के अनुरूप आरोपित यानी आनन्द गिरि की आवाज के नमूने का परीक्षण करवाना वह सुनिश्चित करें. सीबीआई की अर्जी पर आरोपित की सहमति के लिए कोर्ट में वीडियो कांफ्रेंङ्क्षसग नैनी जेल से करवाई गई. बता दें कि आनन्द गिरि भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में नैनी सेंट्रल जेल में बंद हैं.


प्रयागराज (ब्यूरो)। अर्जी पर सुनवाई के दौरान मामले की जांच कर रही सीबीआई टीम भी कोर्ट में मौजूद रही। टीम द्वारा उच्चतम न्यायालय का एक आदेश सीजेएम कोर्ट में पेश किया गया। सीबीआइ की तरफ से कोर्ट के सामने आवाज का नमूना परीक्षण कराए जाने के पक्ष में मजबूती के साथ अपना पक्ष रखा। आरोपित के अधिवक्ता हरिकृष्ण पांडे सुनील, विनीत विक्रम ङ्क्षसह के द्वारा सीबीआइ की अर्जी का विरोध किया गया। कहा कि अब तक विवेचना में सीबीआई को कुछ भी नहीं मिला है। बिना किसी आधार के मात्र परेशान करने की नियत से सीबीआई हर हफ्ते एक नई अर्जी प्रस्तुत कर रही है। कोर्ट रूम में ङ्क्षलक जुड़ते ही आरोपित को पेश करने का आदेश मजिस्ट्रेट द्वारा दिया गया। कैमरे के सामने आए आनंद गिरी से मजिस्ट्रेट द्वारा आवाज नमूने की परीक्षण अर्जी पर सहमति पूछा गया। इस पर खुद को निर्दोष बताते हुए आनंद गिरि ने कोर्ट से कहा कि वह आवाज नमूना परीक्षण कराने के लिए तैयार हैं। यह भी कहा कि सीबीआइ हर हफ्ते एक नई अर्जी पेश करके उन्हें केवल परेशान कर रही है। रिमांड बढ़ाए जाने की अर्जी पर आनंद गिरि ने कोर्ट से कहा कि अब रिमांड आगे स्वीकृत न किया जाए।आरोपितों की बढ़ाई गई न्यायिक हिरासत
आत्महत्या के लिए महंत नरेंद्र गिरि को उकसाने के मामले में आरोपित आनंद गिरि, आद्या प्रसाद व उसके बेटे संदीप तिवारी सीजेएम कोर्ट ने 20 नवंबर तक न्यायिक अभिरक्षा बढ़ा दी है। इसी मामले में तीनों नैनी सेंट्रल जेल में बंद हैं। अब इन तीनों को 20 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में जेल में ही रहना पड़ेगा। न्यायिक अभिरक्षा बढ़ाए जाने के लिए सीबीआई के विवेचक आरए शुक्ल द्वारा कोर्ट में अर्जी दी गई थी। इस अर्जी पर अभियोजन अधिकारी अतुल्य कुमार द्विवेदी एवं प्रदीप कुमार एवं आरोपितों के अधिवक्ता हरिकृष्ण पांडे सुनील, विनीत विक्रम ङ्क्षसह के तर्क को सुनने के बाद कोर्ट ने सीबीआई की अर्जी स्वीकार किया। कोर्ट ने कहा कि सीबीआइ ने अर्जी में कहा है कि मामले की विवेचना अभी प्रारंभिक स्तर पर ही है। इसलिए आरोपियों की न्यायिक अभिरक्षा की अवधि बढाई जाए। सीबीआइ ने अब तक की गई विवेचना, केस डायरी आदि सीजेएम कोर्ट में पेश किया।

Posted By: Inextlive