कार्तिक शुक्ल की नवमी को मनाये जाने वाला अक्षय नवमी पर्व बुधवार को जोश के साथ मनाया गया. मान्यता है कि इस दिन विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा करने पर वह सभी गलतियों को माफ कर देते हैं. इसके चलते जगह-जगह लगे आंवले के पेड़ के नीचे महिलाओं का जमावड़ा हुआ. उन्होंने आंवले के पेड़ की परिक्रमा की और रक्षा सूत्र बांधा. इसके बाद उन्होंने आंवले के पेड़ के नीचे ही भोजन भी किया.


प्रयागराज (ब्‍यूरो)। मान्यता है कि आंवला नवमी के दिन स्नान पूजन तड़पा तथा अन्य दान आदि के दान से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। आंवला नवमी के दिन परिवार के बड़े बुजुर्ग सदस्य विधि विधान से आंवला की पूजा अर्चना करके भक्ति भाव से इस पर्व को मनाते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी से लेकर पूर्णिमा तक भगवान विष्णु आंवले के पेड़ पर निवास करते हैं इसलिए इस पेड़ की पूजा अर्चना की जाती है। यह भी कहा जाता है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण अपने बाल लीलाओं का त्याग करके वृंदावन की गलियों को छोड़कर मथुरा चले गए थे। आंवला भगवान विष्णु का प्रिय फल
आंवला भगवान विष्णु का सबसे प्रिय फल है और आंवले के वृक्ष में सभी देवी देवताओं का निवास होता है। आंवला आयु बढ़ाने वाला फल है या अमृत के समान माना गया है। आंवले के वृक्ष की पूजा करने से देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है आंवले के पेड़ की पूजा कर 108 परिक्रमा करने से मनोकामना पूर्ण होती है। अंशु श्रीवास्तव, कामिनी श्रीवास्तव, कुसुम, नीलम के अलावा सर्व ब्राह्मण महिला मंडल की राजलक्ष्मी शुक्ला, शशि शुक्ला, अंजू दुबे, सन्नो त्रिपाठी, अनीता पांडे, ऊषा त्रिपाठी, अंजली शुक्ला ने टीम के साथ इसमें शामिल होकर आंवले के पेड़ का पूजन किया।

Posted By: Inextlive