अम्बे तू है जगदम्बे काली..
नवमी पर मां के सिद्धिदात्री स्वरूप का हुआ पूजन, भक्तों ने मांगा आर्शिवाद
पूर्णाहुति के साथ शतचंडी यज्ञ का हुआ समापन prayagraj@inext.co.inPRAYAGRAJ: चैत्र शुक्लपक्ष की नवमी तिथि पर बुधवार को भक्तों ने मां के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूरे विधि विधान के साथ पूजन किया। इसके साथ ही नवरात्र के पावन नौ दिनों का भी समापन हो गया। नवमी के अवसर पर नवरात्र के नौ दिन व्रत रखने वाले साधकों ने दुर्गा सप्तशती का पाठ कर मां की आरती अम्बे है तू जगदम्बे काली उतार देवी स्वरूप कन्याओं का पूजन करके उन्हें फल, मिष्ठान खिलाकर आशीर्वाद लिया। साथ ही पूरे नियम के अनुसार मंत्रोच्चार के बीच हवन आदि पूरा किया। कलश को उसके स्थान से हटाकर मां से अपनी गलतियों के लिए माफी मांगी। नवरात्र के नौ दिनों का व्रत रखने वाले व्रती दशमी तिथि को अन्न ग्रहण करेंगे। देवी मंदिरों में चले रहे शतचंडी यज्ञ में भी नवमी के अवसर पर पूर्ण आहूति डालकर लोगों ने मां से कोरोना महामारी से जल्द छुटकारा दिलाने की प्रार्थना की।
मंदिरों में सिद्धिदात्री स्वरूप में हुआ श्रृंगारनवरात्र के आखिरी दिन सिटी के देवी मंदिरों में आदि शक्ति मां भगवती के नौवे स्वरूप मां सिद्धिदात्री के रूप में मां का श्रृंगार किया गया। हालांकि मंदिरों में पिछले सालों से जैसी भीड़ नहीं रही। लोगों ने घरों में रहकर ही मां के सिद्धिदात्री स्वरूप का पूजन किया। मां अलोपशंकरी मंदिर के पालने को पुष्प व चुनरी से सजाकर अखंड ज्योति के पास मां के सिद्धिदात्री स्वरूप का पूजन हुआ। मां कल्याणीदेवी मंदिर में विधि-विधान से मइया के सिद्धिदात्री स्वरूप का रत्नजडि़त आभूषणों व पुष्प से श्रृंगार करके आरती उतारी गई। वहीं मां ललिता देवी मंदिर में मां ललिता का रत्नजडि़त आभूषणों से श्रृंगार करके पूजन किया गया। मां खेमा मायी व काली बाड़ी मंदिर के पूजारियों ने भी नवमी के पावन अवसर पर पूरे विधि-विधान से श्रृंगार करके मां की महाआरती की। इस दौरान कम संख्या में मंदिर में भक्त मौजूद रहे और कोविड 19 के नियमों का कड़ाई से पालन किया।
कई एरिया में इस बार नहीं हो सका कन्या पूजनकोरोना महामारी का असर नवरात्र की नवमी पर होने वाले कन्या पूजन पर भी दिखाई दिया। खासतौर पर कंटोनमेंट जोन के अन्तर्गत आने वाले एरिया में विशेष रूप से ये नजारा देखने को मिला। ऐसे में लोगों ने भी नास्ता और गिफ्ट का पैकेट बनाकर कन्याओं के बीच बांटे। जिससे उनके नौ दिनों का संकल्प पूरा हो सके। वहीं कुछ एरिया में लोगों ने परम्परागत तरीके से नौ कन्याओं का विधि पूर्वक पूजन किया और उनको भोजन कराने के बाद दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद लिया।