कमाल का है सरकारी सिस्टम
प्रयागराज (ब्यूरो)। ये सरकारी सिस्टम है। अगर इस सिस्टम में एक बार फंसना हो गया तो फिर निकलना कब होगा इसका भगवान ही मालिक है। ये मामला सरकारी सिस्टम की सच्चाई बयां करने के लिए काफी है। मसला जमीन का है। एक युवक की जमीन बेंच दी गई। 2021 में जब युवक को इसकी जानकारी हुई तो उसने अपनी जमीन बचाने के लिए दौड़ भाग शुरू की। दौड़ते दौड़ते युवक को चार साल हो गए। अफसरों के सैकड़ों चक्कर लगाए और दर्जनों एप्लीकेशन दी। इसके बाद चल रही जांच इस नतीजे पर पहुंची कि वाकई में युवक के साथ धोखाधड़ी हुई है। जिस पर एयरपोर्ट थाना में युवक की तहरीर पर केस दर्ज किया गया है।
तहसील से कॉपी निकालने पर पता चला
मेडवारा गांव के रहने वाले शब्बीर अहमद के तीन बेटे हैं। शब्बीर की मृत्यु हुई तो जमीन उनके तीनों बेटों के नाम दर्ज हो गई। पूर्व की तरह उस जमीन में खेती बाड़ी होती रही। शब्बीर का एक बेटा रफैल अहमद मुंबई में रहता था। वह तीज त्योहार पर घर आता था। 2021 में रफैल को पता चला कि उसका खेत बेंच दिया गया है। यह सुनकर उसके पांव तले जमीन खिसक गई। रफैल ने रजिस्ट्री आफिस से सर्टिफाइड कॉपी निकलवाई। पता चला कि गांव के मेराज अहमद ने अपनी फोटो लगाकर जमीन बेंची है। जिमसें गांव के पूर्व प्रधान जकी अहमद गवाह हैं। साथ में गांव के ही हबीबउद्दीन को भी गवाह बनाया गया है। जमीन पांच जून 2014 को रजिस्टर्ड बैनामा के जरिए अभय यादव व विनय यादव पुत्र गुलाब यादव निवासी मुंडेरा थाना धूमनगंज को बेची गई है।
रफैल अहमद ने सारी जानकारी जुटाई। इसके बाद वह अपनी जमीन पर खेती के लिए गया तो उसे जान से मारने की धमकी दी गई। आरोपितों ने बताया कि उसकी जमीन बिक चुकी है। इसके बाद रफैल ने दौड़भाग शुरू की। चार साल बाद दर्ज हुआ केस
2021 में मामले का पता चलने के बाद रफैल अहमद ने एसडीएम से लेकर आला अफसरों को एप्लीकेशन देना शुरू किया। उसका पहली बार सरकारी सिस्टम से पाला पड़ा था। करते करते चार साल गुजर गए। इस बीच रफैल को सैकड़ों चक्कर अफसरों के काटने पड़े। दर्जनों बार एप्लीकेशन देनी पड़ी। तब कहीं जाकर जांच रिपोर्ट तैयार हो सकी। फिलहाल, रफैल की तहरीर पर आरोपितों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है।
दूसरे की फोटो लगाकर एक जमीन बेचने की तहरीर दी गई थी। तहरीर के आधार पर केस दर्ज किया गया है। मामले की जांच की जा रही है।
अरुण कुमार सिंह, इंस्पेक्टर एयरपोर्ट