जीएसटी कौंसिल पर क्या किया कोर्ट को बताएं
प्रयागराज में जीएसटी अधिकरण गठन पर हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार व जीएसटी काउंसिल से 11 दिसंबर तक हलफनामा दाखिल करने को कहा
prayagraj@inext.co.in इलाहाबाद हाईकोर्ट प्रयागराज में जीएसटी अधिकरण के गठन को लेकर सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार व जीएसटी काउंसिल को उत्तर प्रदेश में जीएसटी अधिकरण तथा एरिया बेंचेज के गठन के संबंध में उठाए गए कदमों की जानकारी के साथ 11 दिसंबर तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। यह आदेश जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह ने मेसर्स जय बाबा अमरनाथ इंडस्ट्रीज सहित सैकड़ों याचिकाओं की सुनवाई करते हुए दिया है। पहले के आदेश को कर दिया नजर अंदाजकोर्ट ने इसके पहले 18 सितंबर व 16 अक्टूबर 2019 को केंद्र सरकार, जीएसटी काउंसिल को प्रदेश में अधिकरण के गठन के संबंध में उठाए गए कदमों की जानकारी के साथ हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया था। लेकिन उसका अनुपालन नहीं किया गया। बता दें कि एक्साइज विभाग द्वारा माल वाहनों की जब्ती आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में भारी संख्या में याचिकाएं आ रही हैं। जिन्हें न्यायाधिकरण के समक्ष जाना चाहिए था। प्रदेश में न्यायाधिकरण का गठन न होने के कारण हाई कोर्ट पर मुकदमों का बोझ बढ़ रहा है। इसको देखते हुए जस्टिस एसडी सिंह ने सरकार व जीएसटी काउंसिल को हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा था कि प्रदेश में अधिकरण का गठन क्यों नहीं किया जा रहा है?
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करेंगे विशेष अनुमति याचिका केंद्र सरकार के अधिवक्ता कृष्णजी शुक्ल ने कोर्ट को वित्त मंत्रालय की तरफ से बताया कि केंद्र सरकार ने लखनऊ खंडपीठ के 31 मई 2019 को पारित आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल करने का निर्णय लिया है। कोर्ट ने इस आदेश से प्रयागराज में अधिकरण स्थापित करने के राज्य सरकार द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को रद करते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा पूर्व में भेजे गए प्रस्ताव के तहत लखनऊ में अधिकरण का स्थापित किया जाए। हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति भारती सप्रू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने लखनऊ बेंच के फैसले को कानून के विपरीत मानते हुए अपठनीय करार दिया है। प्रयागराज में हाईकोर्ट की प्रधान पीठ होने के नाते अधिकरण की स्थापना प्रयागराज में करने का आदेश दिया है। लखनऊ पीठ के आदेश के चलते जीएसटी कौंसिल नतीजे पर नहीं पहुंच पा रही है। लखनऊ खंडपीठ के 31 मई 2019 को दिए गए फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने जा रही।