खुद को समझाइए, बाकी खुद समझ जाएंगे
-कोरोना वायरस से डर की नहीं, अवेयरनेस की है जरूरत
-प्रभावित देशों से लौटे लोगों ने शेयर किया अपना एक्सपीरियंस PRAYAGRAJ: देशभर में कोरोना वायरस का खौफ सिर चढ़कर बोल रहा है। अभी तक मुट्ठीभर मरीज ही सामने आए हैं फिर भी लोग सहम गए हैं। जबकि ऐसे बहुत से लोग हैं जो चीन या दूसरी अफेक्टेड कंट्रीज से लौटे हैं। इनमें से कुछ ने डरकर समय गुजारा है तो कुछ ने दिलेरी से हालात का सामना किया। लेकिन सभी का मैसेज यही है कि डरने से कुछ हासिल नहीं होगा। जागरुक होकर बीमारी का मुकाबला करने से ही जीत मिलेगी। डरकर बुला लिया डॉक्टरसलोरी के गायत्री नगर के रहने वाले विनय (परिवर्तित नाम)) हांगकांग के बैंकॉक में जॉब करते हैं। 15 जनवरी के आसपास वह जॉब पर गए थे। लेकिन वहां पता चला कि चीन में कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा है। वुहान में हजारों लोग इससे संक्रमित हो गए हैं। ऐसे में महज 15 दिन के भीतर ही वह छुट्टी लेकर वापस इंडिया चले आए। यह कदम उन्होंने डरकर उठाया। उनका कहना है कि हांगकांग में भले ही कोरोना का असर नही था लेकिन जिस तरह से बीमारी फैल रही थी उससे इंडिया लौटना ही बेहतर लगा।
शंका के बीच गुजारे 15 दिनवह कहते हैं कि इंडिया आने के अगले तीन दिन तक उनको चैन नहीं मिला। उनके अंदर डर समा चुका था। तीसरे दिन उन्होंने स्वयं डॉक्टर्स को फोन करके बुलाया और अपना चेकअप कराया। किसी प्रकार का लक्षण नही पाए जाने के बाद भी डॉक्टर्स ने उन्हें 15 दिन तक आइसोलेट रहने को कहा। इस दौरान विनय काफी परेशान थे। वह अपने आपको मानीटर करते रहे। बाहरियों से कम मिलते थे। हालांकि धीरे-धीरे दिन बीत गए और वह पूरी तरह स्वस्थ रहे। वह भगवान का शुक्रिया अदा करते हैं और कहते हैं कि ऐसे समय पर लोगों को घबराने की जगह धैर्य से काम लेना चाहिए। कोशिश होनी चाहिए कि दूसरे संक्रमित न हों।
जानकारी मिलने के बाद लौट आए इंडियाहंडिया के सैदाबाद के रहने वाले गुलाम नबी अंसारी पेशे से रेडीमेट गारमेंट व्यवसायी हैं। व्यापार के सिलसिले में वह चीन भी आते जाते रहते हें। लास्ट टाइम वह नवंबर में चीन गए थे और फिर वहां पर उन्होंने बिजनेस के सिलसिले में लगभग तीन माह रहना पड़ा। उनका यह समय काफी मुश्किल से बीता। वह चीन के ग्वांजो शहर में थे और वुहान में इस वायरस का प्रकोप तेजी से बढ़ता जा रहा था। वह भी सोच रहे थे कि कितनी जल्दी बिजनेस की फार्मेलिटीज पूरी हो और वह वापस अपने देश जाएं। उन्हे लगातार बीमारी के फैलने का डर सता रहा था। हालांकि वहां की मीडिया इसे अधिक हाइलाइट नही कर रही थी लेकिन सोशल मीडिया के जरिए लोगों को जानकारी हो रही थी।
हालात सामान्य होने के बाद जाएंगे चीन वह बताते हैं कि दस नवंबर 2्र019 को वह चीन के ग्वांझू शहर में गए थे और 17 जनवरी को वापस लौटे हैं। गांव वापस आने के तीन दिन बाद घर पर डॉक्टरों की टीम आई तो आस पड़ोस के लोगों में कानाफूसी शुरू हो गई। डॉक्टरों ने जांच करने के बाद ओके किया और अगले 14 दिन तक लक्षणों को लेकर होशियार रहने की सलाह दी। उनका कहना था कि संदेहपूर्ण लक्षण दिखे तो तत्काल कॉल करके जानकारी दें। गुलाम नबी कहते हैं कि एक माह बीत गया लेकिन कोई दिक्कत नही हुई। हालांकि इस बीच वह जरा भी पैनिक नही हुए। अगर कोई कुछ बोलता तो भी वह हंसकर टाल देते थे। उनका कहना है कि ऐसे हालात में संयमित और जागरुक रहना ही जरूरी है।