पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब की यौमे पैदाइश के मौके पर मंगलवार को अकीदतमंदों ने जियारत की. खानकाहे अजमली की रिवायात के मुताबिक बारह रबीउलअव्वल को खानकाहे अजमली दायरा शाह अजमल की मस्जिद में तबर्रुकात की जियारत करायी गई. खानकाह के मौजूदा सज्जादानशीन सैयद जर्रार फाखरी ने तमाम तबर्रुकात की तफसील बताई और अकीदतमंदों ने दरूद् और सलाम पढ़कर अपनी आस्था का मुजाहिरा करते हुए दुआएं मांगी. तबर्रुकात में खास तौर से पैगम्बर हजरत मुहम्मदे मुस्तफा का मूए मुबारक पलक का बाल जिसकी जिय़ारत करने के लिये अकीदतमंद रात भर के जागने की थकावट को दरकिनार करके हाजिर रहे. इसके अलावा एक शमाँ जो बाबे जिबरील पे जला करती थी. हजरत बहाउद्दीन नकशबंदी के हाथों तिनके से लिखी हुई किताब जिसमें मुजर्रब दुवाएँ और नकश है. एक तसबीह और उस अमामे के हिस्से जिसको जंगें खैबर की फतह मौके पर हजरत अली के सर पे हुज़ूर ने ख़ुद पहनाया. इसके अलावा दो तलवारें भी इसमें शामिल हैं जिनमें से एक माना जाता है कि खिज्र अलैहिस्सलाम की दी हुई है. इन सब की जिय़ारत कराई गई.


प्रयागराज (ब्यूरो)। बारावफात के मौके पर कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए मस्जिदों में प्रोग्राम मुकतसर रखा गया। इसके बाद खानकाह के अंदर अकीदतमंद महिलाओं को भी जियारत करायी गई। प्रोग्राम में नायब सज्जादानशीन सैयद अरशद जकी फाखरी, अनस निजामी, अदीब फाखरी, नूर सफी फाखरी, मतलूब निजामी तथा मस्जिद के पेश इमाम मौलाना शमशेर आजम व मौलाना नौशाद आलम भी शामिल हुए। ओलमाओं द्वारा मुल्क में अमनो अमान व खैरोबरकत की दुआएं मांगी गई। माहे रबी उल अव्वल की बारह तारीख़ को जिय़ारत का ये प्रोग्राम खानकाहे अजमली दायरा शाह अजमल में पिछले सौ सालों से ज्यादा समय से हर साल कायम है। अन्जुमन ग़ुन्चा ए कासिमया के प्रवक्ता सै। मो। अस्करी के ने बताया कि बाराह रबीउल अव्वल को दिन भर खानकाहों ,इबादतगाहों व घरों मे मीठे व्यंजन पर नज्रों नियाज व फातेहाख्वानी भी कराई गई। मंगलवार को बा बरकत दिन में बड़ी संख्या में लोगों ने रोजा भी रखा। जिसकी फजीलत नमाज ए फजिर में ओलमाओं ने बयान की। मगरिब की अजान सुनते ही लोगों ने रोजा खोला और देश से जल्द से जल्द कोरोना महामारी के खात्मे के साथ आईन्दा साल ईद मिलादुन्नबी की सभी रुसूमात को अपनी पुरानी परम्परा के मुताबिक हो इस के लिए खास दूआ भी की गई ।

Posted By: Inextlive