रेग्युलर-सेल्फ फाइनेंस पर 'रार', 'एमसीए' कोर्स बना हथियार
जेके इंस्टीट्यूट से एमसीए की पढ़ाई को लेकर चल रही वीसी की कवायद को झटका
बोर्ड आफ स्टडीज की मीटिंग में वीसी का प्रस्ताव सर्वसम्मति से खारिज prayagraj@inext.co.in PRAYAGRAJ: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में एमसीए कोर्स को लेकर नया विवाद शुरू हो गया है। ये विवाद मौजूदा कुलपति प्रो। संगीता श्रीवास्तव के प्रस्ताव पर बोर्ड आफ स्टडीज की नामंजूरी ने खड़ा कर दिया है। जिसके बाद इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के जेके इंस्टीट्यूट में फिलहाल नियमित पाठ्यक्रम मास्टर ऑफ कम्प्यूटर एप्लीकेशन यानी एमसीए की पढ़ाई नहीं होगी। बोर्ड ऑफ स्टडीज की दूसरी बार हुई मीटिंग में संशाधनों की कमी को लेकर एमसीए की पढ़ाई अपने यहां पढ़ाई कराने से इंकार कर दिया है। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज में सेल्फ फाइनेंस मोड में एमसीए का पाठ्यक्रम पहले की तरह ही संचालित होता रहेगा। फीस में दो गुने से ज्यादा का अंतरइलाहाबाद यूनिवर्सिटी में इंस्टीट्यूट आफ प्रोफेशनल स्टडीज की ओर से एमसीए पाठ्यक्रम की शुरुआत वर्ष 2007 से हुई थी।
जेके इंस्टीट्यूट में इसकी शुरुआत 2018 से हुई थी। आईपीएस में संचालित एमसीए कोर्स की फीस 17,8271 है। जेके इंस्टीट्यूट में एमसीए कोर्स की फीस महज 59,271 है।पूर्व कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर आरआर तिवारी ने कार्यकाल में एकेडमिक काउंसिल ने फैसला लिया था कि जो स्टूडेंट्स पहले से पढ़ रहे हैं, वह जेके से ही एमसीए का पाठ्यक्रम पूरा करेंगे।
नए सत्र से यहां एमसीए में प्रवेश नहीं लिए जाएंगे। कुलपति बनने के बाद प्रो। संगीता श्रीवास्तव ने जेके में एमसीए पाठ्यक्रम संचालन की दोबारा कवायद शुरू की। इसके लिए उन्होंने विभाग से सहमति भी मांगी। बोर्ड ऑफ स्टडीज की मीटिंग में सर्वसम्मति से कुलपति के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया। पहले 30 सीटों पर एडमिशन के लिए आवेदन लिए जाते थे। पाठ्यक्रम संचालन का प्रस्ताव बोर्ड ऑफ स्टडीज में रखा गया। लेकिन उसको सर्व सम्मति से नकार दिया गया है। प्रो। राजीव सिंह, एचओडी