एक चट्टान गिरती है खामोशी की नींद मे
प्रयागराज (ब्यूरो)। कहानी में आधी आबादी के संघर्ष, साहस, संवेदना, क्षमता, जीवटता और जिजीविषा को अत्यंत सशक्त ढंग से उकेरा गया। कहानी के द्वारा बेहद मार्मिक तरीके से यह संदेश दिया गया कि समाज हमें कठिन परिस्थितियों में भी हार नहीं माननी चाहिए और आत्मविश्वास को कायम रखते हुए बार-बार ठोकरे खाकर भी उठ खड़े होना चाहिए। कहानी में नारी-चेतना को और अधिक सुदृढ़ और स्पष्ट करने का बहुत सराहनीय और उल्लेखनीय प्रयास किया गया और इस यथार्थ को बहुत भावपूर्ण विधि से दर्शाया गया कि अपने जीवन के निजी निर्यणों में भी नारी की पुरुष पर निर्भरता एक समय के बाद नारी को कमज़ोर और पुरुष को निरंकुश बनाती है। अपनी तक़लीफ़ों के परिप्रेक्ष्य में किसी अन्य से मदद की गुहार लगाने के बजाय स्वयं को मज़बूत बनाना चाहिए और तकलीफों का डटकर मुक़ाबला करना चाहिए। मंच पर अभिनेत्री की भूमिका में कविता यादव, मंच एवं प्रकाश व्यवस्था शिव गुप्ता, मंच सहायक बागी विकास, प्रकाश सहायक श्रीकृष्ण नीरज, संगीत संयोजन हरमेंदर सिंह, मंच व्यवस्थापक अजीत बहादुर का रहा।