एहजम की तरफ घूमने लगी शक की सूई
प्रयागराज (ब्यूरो)।उमेश पाल हत्याकांड में अब तक पांच लोग पुलिस मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं। आधा दर्जन से अधिक लोगों को पुलिस जेल भेज चुकी है। जिन लोगों को जेल भेजा गया है, उसमें से ज्यादातर ऐसे हैं जिनका शातिरों ने इस्तेमाल तो कर लिया लेकिन हवा नहीं लगने दी कि वे इस्तेमाल किये जा रहे हैं। इस चक्कर में मरहूम अतीक के तीसरे नंबर के बेटे असद के कुछ साथियों का भी नाम है। उमेश पाल शूटआउट को अंजाम देने के लिए तैयार की गयी योजना का छोटा ही सही लेकिन महत्वपूर्ण जिम्मा अतीक के चौथे नंबर के बेटे एहजम ने भी निभाया था। इसके संकेत भी सामने आ चुके हैं। माइनर होने के चलते पुलिस ने अभी तक एहजम पर सीधे हाथ नहीं डाला है।एहजम और आबान भी थे चर्चा में
उमेश पाल हत्याकांड में रिपोर्ट दर्ज करने के लिए दी गयी तहरीर में अतीक दम्पति के अलावा उसके दो बेटों का जिक्र किया गया था। दोनों का नाम तहरीर में नहीं था। सिर्फ बेटा नंबर एक और बेटा नंबर दो लिखा गया था। 24 फरवरी को घटना के दिन अतीक और अशरफ जेल में थे। अतीक का बड़ा बेटा उमर लखनऊ और दूसरे नंबर का बेटा अली नैनी सेंट्रल जेल में बंद था। इससे घटना के बाद ही एहजम का नाम चर्चा में आ गया था। एहजम और आबान को लेकर शाइस्ता की तरफ से उसके वकील ने कोर्ट में अर्जी भी दाखिल की थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि पुलिस ने दोनों को 24 फरवरी की रात ही उठा लिया था। पुलिस इस आरोप को लगातार खारिज करती रही। कोर्ट की तरफ से धूमनगंज थाने से रिपोर्ट तलब की गयी तो पुलिस की तरफ से सीधा जवाब नहीं दिया गया। कोर्ट ने इस मामले में धूमनगंज इंस्पेक्टर को कोर्ट में तलब कर लिया तो उसके बाद बताया गया कि 2 मार्च को ही एहजम और आबान भटकते हुए मिले थे उन्हें खुल्दाबाद बाल सुधार गृह में दाखिल करा दिया गया है। पुलिस की भूमिका पर सवाल
शाइस्ता की तरफ से एहजम और आबान को लेकर कोर्ट में अर्जी दाखिल करने वाली अधिवक्ता ने पुलिस की रिपोर्ट पर सवाल खड़ा कर दिया तो कोर्ट ने खुल्दाबाद बाल संरक्षण गृह के साथ ही पुलिस से रिपोर्ट मांग ली। करीब 20 से 25 दिन बाद पुष्टि हो पायी कि वास्तव में पुलिस ने दोनों को बाल संरक्षण गृह में दाखिल कर दिया है। अब एहजम और आबान ही बता सकते हैं कि वे पुलिस के हाथ कैसे चढ़े थे और वास्तव में पुलिस ने उन्हें कब दाखिल किया था। बता दें कि, 24 फरवरी के बाद से इन दोनों का बाहरी दुनिया से कोई कनेक्ट नहीं है। शाइस्ता के लिए केस की पैरवी करने वाले वकीलों ने भी इस मुद्दे पर कुछ नहीं बोला है।एहजम भी था फेसटाइम परअब जो चर्चाएं मार्केट में आ रही हैं उसके मुताबिक इस साल इंटरमीडिएट की परीक्षा में शामिल होने वाला एहजम खुद भी आई फोन यूजर था। दावा किया जा रहा है कि एहजम को ही फेसटाइम एप पर लॉगिन करने के लिए आईडी बनाने की जिम्मेदारी दी गयी थी। आईडी के लिए कोड वर्ड का इस्तेमाल किया गया था। इस कोड वर्ड के भी काफी सारे नामों का खुलासा पहले भी हो चुका है। जो नई जानकारी है उसके मुताबिक इस ग्रुप के लिए एहजम ने अपनी आईडी गब्बर के नाम से क्रिएट की थी। उसकी तरफ से उमेश पाल को गब्बर नाम दिया गया था।