अव्यवस्थाओं पर भारी आस्था
प्रयागराज (ब्यूरो)। संगम क्षेत्र में एक से डेढ़ लाख लोग हर समय रहते हैं। यहां पर एक लाख के करीब लोग कल्पवास कर रहे हैं। मौसम खराब होने के बावजूद वह आस्था की डुबकी लगाने से नहीं चूकते हैं। शुक्रवार की रात से मौसम खराब हुआ और बूंदाबादी शुरू हो गई थी। शनिवार सुबह बारिश हुई और फिर दिन चढ़ते तक बूंदाबांदी होती रही। रात में भी शीतलहर व बूंदाबांदी जारी रहा। सुबह आसमान में घना कोहरा छाया रहा। बावजूद जप-तप के लिए संगम की धरती पर आए लोग सुबह तीन से चार बजे उठ गए। गय जिले के दिलकेश्वर दास संगम की तरफ जाने वाले रोड पर तंबू में रहकर कल्पवास कर रहे हैं। वह और उनके साथ आए अंशुल पांडेय, अर्जुन, श्याम बाबू सुबह तीन बजे ही उठकर स्नान व जप-तप में जुट जाते हैं।
कल्पवासी बोले
गंगा मैया देती हैं हिम्मत
कल्पवासी राम नरेश दास मिर्जापुरी कहते हैं कि वैसे इतना कष्ट तो हर कल्पवास में होता है। बोले गंगा मइया हमें हिम्मत देती हैं। बारिश से निपटने के लिए कई लोग छाता भी रखे हैं लेकिन मानसिक रूप से बारिश झेलने के लिए तैयार रहते हैं। यहां पर हर तंबू के ऊपर पालीथिन लगी है इसलिए वहां रखा सामान नहीं भीगता। सुबह पांच बजे तक लोग स्नान और पूजन करके भजन शुरू कर देते हैं। चूंकि छह बजे बिजली कट जाती है, इसलिए इससे पहले तक चाय भी पी लेते हैं।
कल्पवासी पंडित अर्जुन गिरि कहते हैं कि मौसम की मार हो या गंगा का पानी बढऩे से हो हरी समस्याएं कुछ भी कल्पवासियों के आस्था को डिगाने में असमर्थ रही। सुबह से ही तेज ठंडी हवाएं चल रहीं थी, आसमान में घने बादलों की ओट में सूरज देवता छिपे हुए थे। मौसम में ठंडक इतनी की लोग कपड़ों से लैस, लेकिन इन सब के बीच गंगा स्नान और उसके बाद भगवान का ध्यान।
भगवान का नाम लेकर कट रहा समय
कल्पवास करने वाले सोरांव निवासी रामनरेश मिश्र बताते हैं कि पिछले 10 सालो से परिवार के साथ कल्पवास के लिए आ रहें है, समस्याओं का क्या है यह तो हर बार ही रहता है। इस बार थोड़ा ज्यादा बस यह कह सकते है। प्रशासन की तरफ से मिलने वाली सुविधा बहुत कम है। रजाई गद्दा तक ठीक से नहीं मिला है। शिविर में पानी घुस आया है। निकलने का कोई रास्ता नहीं है। उसी अव्यवस्थाओं के बीच कल्पवास किया जा रहा है। भगवान का नाम लेकर समय कट रहा है।
दिल केश्वर दास बताते हैं कि कल्पवास का मतलब संसारिक माया को छोड़कर भगवान की साधना करनी होती है। जब घर जैसी सुविधाएं जब कल्पवास में ही मिलने लगेंगी तो इसका मतलब ही क्या रह जाएगा। इस बार भगवान कुछ ज्यादा ही परीक्षाएं ले रहा है। मौसम भी हर बार की तरह नहीं है। भगवान की भक्ति के लिए कोई मौसम नहीं होता है, बस आस्था होती है।