अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए दारागंज गंगा घाट पहुंचे सैकड़ों समर्थक


प्रयागराज ब्यूरो । भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच घाट पर बड़े भाई ने दी उमेश की चिता को मुखाग्नि
क्कक्र्रङ्घ्रत्रक्र्रछ्व: मौत के घाट उतारे गए सुलेमसराय जयंतीपुर निवासी उमेश पाल के घर से लेकर एसआरएन हॉस्पिटल और पोस्टमार्टम तक छावनी में तब्दील रहा। भारी संख्या में फोर्स के साथ अधिकारी मौजूद रहे। शनिवार दोपहर के वक्त पोस्टमार्टम कराने पहुंचे पुलिस अफसर व जवान दोनों गेट बंद करा दिए। गेट के अंदर पोस्टमार्टम हाउस परिसर में पुलिस और उनके अधिकारी ही मौजूद रहे। गेट के बाहर भी भारी संख्या में फोर्स तैनात रही। सैकड़ों की तादाद में उमेश पाल के समर्थक व परिजनों संग रिश्तेदार भी डटे रहे। दोपहर बाद करीब साढ़े तीन बजे पोस्टमार्टम हाउस से उसकी बॉडी को घर जयंतीपुर जरिए एम्बुलेंस ले जाया गया। बॉडी के साथ समर्थक भी घर जा पहुंचे। उसके घर पर सैकड़ों लोगों की भीड़ लग गई। परिवार में गम, गुस्से और मातम का माहौल पसर गया। माहौल को देखते हुए बवाल की आशंका से अफसरों का दम फूलता रहा। थोडी ही देर में करीब चार बजे अंतिम संस्कार के लिए बॉडी दारागंज घाट ले जाई गई। यहां अंतिम संस्कार के लिए दोपहर में ही चिता लगा दी गई थी। बड़े भाई अशोक पाल के जरिए उमेश पाल की चिता को मुखाग्नि दी गई। अंतिम संस्कार में शामिल होने वाले समर्थकों की इतनी भीड़ हो गई कि शास्त्री ब्रिज पर जाम की स्थिति बन गई।

बवाल की आशंका से ग्रस्त रहे अफसर
दिनदहाड़े हुई उमेश पाल की सनसनीखेज हत्या से उठे खून के छींटे लखनऊ सदन तक पहुंच गए थे। लिहाजा पुलिस किसी भी तरह की चूक या लापरवाही बरतने के मूड में नहीं दिखाई दी। दारागंज घाट से लेकर रास्ते तक पुलिस का सख्त पहरा रहा। लोगों का कहना था कि सुरक्षा में पुलिस यदि पहले ही इतना संजीदा होती तो आज यह घटना नहीं हुई होती। खैर, घाट पर एम्बुलेंस से उमेश पाल की बॉडी नीचे उतारी गई तो हर किसी की आंखें नम हो गईं। पिता की बॉडी को देखकर बेटे आदित्य पाल की आंखें बरस पड़ीं। उसे फफक कर रोते हुए देखकर रिश्तेदार राजू कुमार पाल ने आदित्य को गले से लगा लिया। दारागंज घाट का दृश्य काफी मार्मिक व हहृदय विदारक रहा। बड़े भाई अशोक पाल मुखाग्नि दिए तो उमेश का बेटा दबे पांव सामने आ गया। उसकी पीड़ा को देखते हुए कुछ लोग ले जाकर गाड़ी में बैठा दिए। बताते हैं कि जयंतीपुर मोहल्ला निवासी स्व.भुल्लर प्रसाद पाल के चार बेटे अशोक पाल, दिनेश पाल, उमेश पाल व रमेश पाल थे। इनमें से प्रजेंट टाइम अब दो ही बेटे बचे हैं। लोगों की मानें तो रमेश पाल की कोरोना में दो साल पहले मौत हो गई थी। अधिवक्ता उमेश पाल की शुक्रवार को सरेशाम गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई।


परिवार की सुरक्षा व बच्चों के शिक्षा की मांग
दारागंज घाट पर छोटे भाई उमेश पाल की बॉडी को मुखाग्नि देने के बाद अशोक पाल ने परिवार की सुरक्षा को लेकर आशंका जाहिर की। उन्होंने कहा कि पूरे परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित की जाय। उमेश पाल की पत्नी को सरकारी नौकरी दी जाय। उमेश के दो बेटों आदित्य व आरव और दोनों बेटियों काव्या और दिव्या की शिक्षा व्यवस्था के भी बेहतर और सुरक्षित प्रबंध किए जाय। उमेश के भतीजे सनी ने अतीक अहमद समेत अन्य आरोपियों को फांसी दिलाए जाने की मांग की।

Posted By: Inextlive