मिलावट का 'खेल, 84 फीसदी सैंपल फेल बाक्स
प्रयागराज (ब्यूरो)।क्या आपको पता है कि खानपान की जिन वस्तुओं पर हम भरोसा करते हैं, उनमें मिलावटखोरी के अलावा जमकर नियमों की अनदेखी की जा रही है। मतलब पब्लिक के विश्वास को धोखा दिया जा रहा है। यह बात फूड सेफ्टी विभाग की रिपोर्ट में साफ नजर आ रही है। यहां पिछले एक साल में हुए सैंपल की टेस्टिंग में 84 फीसदी अलग अलग मानकों में फेल पाए गए हैं। यह आंकड़े पब्लिक को अवेयर होने की दिशा में भरपूर इशारा कर रहे हैं।सेफ फूड को पहचानना मुश्किल
प्रजेंट सिनेरियो ंमें मार्केट में सेफ फूड की पहचान करना आसान नही रह गया है। दूध, तेल, चीनी, दाल, आटा, नमकीन, मिठाइ आदि सब जगह मानकों की अनदेखी की जा रही है। पब्लिक की आंखों में धूल झोंकी जा रही है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि पहचानना इतना आसान भी नही है। क्योंकि सामान में मिलावट नही है तो उसका स्टैंडर्ड लोअर लेवल का होता है। लेबलिंग में कम्प्रोमाइज कर लिया जाता है। इसका पता सैंपल के टेस्टिंग में होता है। इसे नार्मली नही पहचान सकते हैं।सालभर की कार्रवाई की रिपोर्टकुल निरीक्षण- 6100कुल छापेमारी- 793कुल सैंपल- 809सैंपल जिनका रिजल्ट प्राप्त हुआ- 686सैंपल जो फेल हुए- 589पास- 167वाद दायर- 573
मुकदमों में निर्णय- 206अर्थदंड लगाया गया- 41.26 लाखसैंपल होने के कारण- प्रोडक्ट की मैनुफैक्चरिंग नही लिखा होना- डेट आफ एक्सपायरी नदारद होना।- दूध में फैट का काम होना।- सरसों के तेल में आर्जीमोन पाया जाना।- नमकीन में घटिया खाद्य तेल का मिला होना।- आटा, बेसन और दालों में मिलावट।- मिठाई में हानिकारक रंगों की मिलावट।इस तरह से करिए मिलावट की पहचान- लाल मिर्च को पानी में डालिए, अगर वह तैरता नजर आए तो वह शुद्ध है। डूब जाए तो समझिए मिलावटी है।- हल्दी पाउडर में कुल बूंद हाइड्रोक्लोरिक एसिड समेत कुछ पानी की बूंद डालिए, अगर रंग गुलाबी या बैंगनी हो जाए तो मिलावटी है।- दालचीनी को हाथ में रगडऩे पर इसका रंग दिखाई तो असली वरना नकली।- खोए को एक परखनली में बीस एमएल पानी डालकर उबालें और ठंडा होने पर इसमें दो बूंद आयोडीन डालें। रंग नीला हो जाए तो यह संदिग्ध है।- दूध की कुछ बूंद चिकनी सतह पर डालने पर वह सफेद धब्बा छोड़कर बढ़े तो वह शुद्ध है।- काली मिर्च को पानी या शराब में डालने पर यह तैरे तो मिलावटी है।
- चावल उबलते समय अजीब सी गंध तो यह मिलावटी है।- सेब की सतह को चाकू से खुरचने पर मोम निकले तो इसे मत खाएं।- पैकेट बंद चीजों की डेट आफ मैनुफैक्चरिंग, डेट आफ एक्सपायरी और इनग्रेडिएंट्स को जरूर देखें।बॉक्सकैंसर जैसी बीमारियों को दावतमिलावटी पदार्थ बेहद खतरनाक होते है। जैसे अधिक रंगीन मिठाईयों में जो रंग डाला जाता है वह कैंसर को जन्म देने में सहायक होता है। सरसों के तेल में आर्जीमोन की मिलावट जानलेवा है। खोए में स्टार्च मिलाने पर उसका फैट कम हो जाता है। इसी तरह से चावल में प्लास्टिक मिलने पर यह पेट में जाकर अपच और अल्सर का कारण बनते हैं। मोम मिला सेब खाने से भी एसिडिटी आदि की शिकायत हो सकती है।वर्जनहमारी ओर से साल भर अभियान चलाया गया। काफी सैंपल फेल पाए गए। इनमें से कुछ सेहत के लिए हानिकारक तो कुछ अधोमानक मिले। सरकार का जोर लोगों में जागरुकता फैलाने पर है। इसलिए हम इस पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। दुकानदारों को भी बताया जा रहा है कि मिलावटखोरी से बचने की कोशिश करें।ममता चौधरी, सहायक आयुक्त द्वितीय, खाद्य सुरक्षा विभाग प्रयागराज