कैदियों-बंदियों को साठ दिन की आजादी
पैरोल पर अपनों के बीच रहने का कइयों को मिला मौका, अभी और को मिल सकता है लाभ
डेट समाप्त होने के बाद खुद आत्मसमर्पण न करने पर गिरफ्तारी व वारंट का प्राविधानक्कक्त्रन्ङ्घन्द्दक्त्रन्छ्व: ओवर फ्लो हो रही सेंट्रल जेल से पैरोल पर छोड़े गए विचाराधीन बंदियों व कैदियों को सभी शर्तो का पालन करना होगा। शर्तो को तोड़ने की दशा में ऐसे लोगों की मुसीबतें बढ़ सकती हैं। शीर्ष अदालत के निर्देश मिली पैरोल की अवधि बाद स्वयं इन्हें समर्पण करने होंगे। पैरोल अपने कुछ नियम कानून हैं। वही लोग जेल से घर भेजे गए या भेजे जाएंगे जो इन नियमों का पालन करते आए हैं। कोरोना कॉल में यह मौका ऐसे बंदियों व कैदियों के लिए गोल्डन चांस से कम नहीं है। साठ दिनों के लिए ही सही, अपनों के बीच मुसीबत के इस दौर में वे सुकून की सांस ले सकेंगे। अधिवक्ताओं की मानें तो पैरोल पर छोड़ने की जारी गाइड लाइन काफी सख्त है।
अधिवक्ता कहते हैं कि पैरोल को आम भाषा में हम शार्ट टाइम वेल कह भी कहते हैं पैरोल उन्हें उन्हीं विचाराधीन बंदियों या कैदियों अथवा दोंनों को मिलती है जो शर्त पूरा करते हैं।सात वर्ष तक की सजा या इतनी सजा के विचाराधीन बंदियों को ही पैरोल दिए जाने के निर्देश हैं
वह भी तब जब बंदी या कैदी का जेल में आचरण और चाल चलन सही रहा हो व नियम पालन करते हों पैरोल पर अवमुक्त लिए व्यक्तिगत बंध पत्र एवं लिखित कथन इस सर्त के साथ छोड़ा जाता है कि डेट बाद स्वयं आत्म समर्पण करेंगे ऐसे दोष सिद्ध जो एक पैरोल प्राप्त होने पर शांत रहे हो व कोई प्रतिकूल स्थिति पूर्व पैरोल के दौरान न उत्पन्न किए हों ऐसे दोष सिद्ध जिन्हें पूर्व में पैरोल प्राप्त है, उक्त बंदियों को 60 दिन का विशेष पैरोल इस शर्त पर दिया जाय कि उनके द्वारा पूर्व पैरोल की अवधि में पैरोल में प्राविधानित शर्तो का उल्लंघन किया गया हो ऐसे दोष सिद्ध जिन्हें एक पैरोल प्रदान की थी और उनके द्वारा पैरोल अवधि का शांतिपूर्णक उपभोग किया गया तथा कोई प्रतिकूल स्थिति पूर्व पैरोल के दौरान उत्पन्न नहीं हुई हो एवं वह समय पर आत्मसमर्पण किए हों ऐसे बंदी जिन्हें सात वर्ष से कम सजा प्रदान की गई है एवं जिनके द्वारा जेल में बितायी गई अवधि में पैरोल अवधि में निर्धारित शर्तो के उल्लंघन की शिकायत न होऐसे बंदी जो 2020-2021 में पैरोल पर रहे अथवा विगत पांच वर्षो में पैरोल पर रहे हैं और सामान्य पैरोल की अर्हता रखते हैं
उन्हें जेल/रिमाण्ड होम में विरलता के लिए 60 दिन के आपदा पैरोल पर अवमुक्त किया जाएगा ऐसे दोष सिद्ध बंदी जिनके पैरोल का प्रकरण पूर्व में राज्य स्तर के समक्ष अधिकारी के समक्ष विचारार्थ लंबित है इस तरह पैरोल के कई नियम व शर्ते हैं जिनके तहत बंदियों या कैदियों को पैरोल उनके गुण एवं दोष को देखते हुए मिलती है इन्हें नहीं मिल सकती पैरोल पैरोल उन बंदियों या कैदियों को नहीं मिल सकती जिन पर सात से अधिक की सजा है या ऐसी धाराओं में विचाराधीन हैं। पैरोल के हकदार वे भी नहीं होते जिनके आचरण जेल में ठीक नहीं रहे हों या पूर्व के किसी पैरोल पर जाने के बाद समय से समर्पण नहीं किए। राजद्रोह और मनीलांड्रिंग, जैसे गंभीरमामलों के बंदियों को भी पैरोल नहीं मिलती। इन्हें पैरोल में होती है वरीयता पैरोल के दायरे में आने वाले कुछ बंदियों को विशेष प्राथमिकता दी जाती है। अधिवक्ता कहते हैं कि पैरोल की प्राथमिकता में आने वालों में वृद्ध या बीमार वृद्ध, गंभीर रोगी, महिला या वे बच्चे जो सात वर्ष से कम की धारा में बंद हों या सिद्ध दोष हों। इस तरह पूरी होती है पैरोल प्रोसीडिंगअधिवक्ता कहते हैं कि पैरोल प्रोसीडिंग के मुख्य दो प्रकार हैं। एक तो शीर्ष अदालत स्वयं संज्ञान लेकर प्रदेश सरकार को निर्देश दे। जैसा की कोरोना महामारी काल में अदालत द्वारा निर्देश दिए गए हैं। दूसरा राज्य सरकार द्वारा विधि संगत पहल की जाय। प्राप्त निर्देशों व शर्तो के आधार पर जेलर लिस्ट तैयार करते हैं। फिर यह सूची जरिए डीएम शासन को जाती है। फिर राज्य विधि सेवा प्राधिकरण के समक्ष सूची पेश की जाती है। इसके बाद इसी प्राधिकरण के द्वारा अदालत के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए पैरोल के बिन्दु पर निर्णय लिए जाते हैं।
जेल का अफसरों ने किया निरीक्षण-फोटो नैनी सेंट्रल जेल में कोरोना संक्रमण को देखते हुए डीएम भानुचंद्र गोस्वामी व डीआईजी/एसएसपी र्स्वश्रेष्ठ त्रिपाठी ने निरीक्षण किया.शनिवार को जेल पहुंचे द्वय अधिकारियों ने जेल में कोरोना से बचाव के इंतजाम का जायजा लिया। जेल में सेनेटाइजेशन से लेकर सोशल डिस्टेंस के पालन आदि के निर्देश जेलर को दिए गए। इसके बाद अधिकारियों ने जेल अफसरों के साथ पैरोल को लेकर बैठक की गई। इस बीच जेल में क्षमता से अधिक बंदियों व कैदियों की संख्या पर भी चर्चा की गई। मीटिंग में जेल अधीक्षक एसपी पांडेय सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।पैरोल पर विषम परिस्थितियों में शीर्ष अदालत के निर्देश पर मंजूर की जाती है। इसे हम शार्ट टाइम वेल भी कहते हैं। पैरोल सशर्त होती है। पैरोल समाप्त होने के बाद बंदी या कैदी को स्वयं आकर आत्मसमर्पण करने होते हैं।
गौरव मिश्रा, अधिवक्ता हाईकोर्ट पैरोल एक निश्चित समय के लिए दी जाती है। पैरोल डेट समाप्त होने के बाद बंदी या कैदी के वापस न आने पर जेलर पत्राचार डीएम व एसएसपी को करते हैं। इसके बाद इन अधिकारियों द्वारा उसे गिरफ्तार करवाकर जेल भेजने का प्रावधान है। कोर्ट ऐसे बंदियों व कैदियों के खिलाफ वारंट भी जारी कर सकता है। पंकज त्रिपाठी, अधिवक्ता जिला कचहरी