6 माह में 55 बच्चों ने दी टीबी को मात
प्रयागराज (ब्यूरो)। इन बच्चों में फेफड़े के टीबी (पल्मोनरी टीबी) के सबसे ज्यादा केस मिले ह.ैं वहीं शरीर के अन्य हिस्से में (गले में गिल्टी या शरीर के अन्य हिस्सों में गांठ) से जुड़े टीबी (एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी) के मरीज हैं। परिजनों में जागरूकता के अभाव के चलते बच्चों में टीबी के मामले बढ़े हैं। टीबी की पहचान के लिए इसकी सही जांच जरूरी है। अगर बच्चे के गले में गिल्टी या शरीर के किसी हिस्से में गांठ है तो यह टीबी का कारक हो सकता है।
छह फिट रहता है संक्रमण का खतरा
क्षय रोग (टीबी यानि ट्यूबरक्लोसिस) एक संक्रामक बीमारी है। यह एक से दूसरे व्यक्ति में फैलती है। टीबी मरीज के एक बार के खांसने पर हवा में उडऩे वाले 3500 बैक्टीरिया छह फीट की दूरी तक खड़े व्यक्ति को संक्रमित कर सकते हैं। समाज में आम धारणा है कि टीबी केवल अधिक उम्र के लोगों को होती है, लेकिन ऐसा नहीं है। बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है इस कारण कुपोषित बच्चों के साथ-साथ देखने में स्वस्थ्य लग रहा बच्चा भी टीबी संक्रमित हो सकता है। टीबी लाइलाज नहीं है लेकिन इलाज न करवाने की सूरत में यह जानलेवा हो सकता है।
कौडि़हार ब्लॉक के क्षेत्रीय निवासी (बदला हुआ नाम) मनोज विश्वकर्मा (उम्र 18 वर्ष) ने अपना टीबी का इलाज पूरा कर लिया है। अब वह स्वस्थ हैं। बातचीत में उन्होने बताया कि मुझे दो हफ्ते से लगातार खांसी आ रही थी। एक दिन खांसी में बलगम के साथ खून दिखा। मैं तुरंत कौडि़हार के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गया। वहा मुझे मालूम चला की मुझे टीबी है। अस्पताल में मौजूद चिकित्सक व एसटीएस कौशल यादव ने मेरा हौसला बढ़ाया और मैंने अपना इलाज शुरू किया। टीबी का पूरा इलाज करवाकर मैं अब पूरी तरह स्वस्थ हो चुका हू। डॉक्टर्स का कहना है कि टीबी के मरीज से भेदभाव नही करना चाहिए।
बच्चों में टीबी के शुरुआती लक्षण
- भूख न लगना, चिड़चिड़ापन
- दो हफ्ते से ज्यादा खांसी
- सोते वक्त पसीना
- बार-बार खांसी होना
- गले पर गांठ
- वजन न बढऩा बरतें ये सावधानी
- घर में किसी को टीबी होने पर पूरा इलाज कराएं।
- एमडीआर टीबी के मरीजों से बच्चों को दूर रखें।
- अगर मां को टीबी है तो मॉस्क लगाकर बच्चे को गोद लें।
राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत समस्त सरकारी अस्पतालों में निशुल्क इलाज उपलब्ध है। टीबी मरीजों के लिए 6 माह का कोर्स लेना बेहद जरूरी है। दवा को बीच में छोडऩे की भूल न करें। ऐसा करने से टीबी बिगड़ सकती है।
डॉ। एके तिवारी, जिला क्षय रोग अधिकारी प्रयागराज