बम के साथ कॅरियर दांव पर लगा रहा 'यंगिस्तान
प्रयागराज (ब्यूरो)।
शहर में इन दिनों बमबाजी की घटनाएं आम सी हो गई हैं। बाइक सवार युवक व बालक बम फोड़कर दहशत फैलाने का काम कर रहे। वारदात के बाद मुकदमा दर्ज कर पुलिस द्वारा बमबाजों की तलाश शुरू की गई। विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो छह महीने पंद्रह दिन में 206 युवकों व नाबालिगों पर बमबाजी करने व बम रखने के जुर्म मुकदमा दर्ज किया गया। इनमें कइयों के खिलाफ सीएलए एक्ट व 307 जैसी गंभीर धाराएं भी लगाई गई हैं। इनमें से गिरफ्तार किए गए युवक जेल तो नाबालिग बाल सुधार गृह भेजे गए। अकेले जुलाई महीने में अब तक हुई बमबाजी के मामले में 22 से अधिक आरोपित पकड़े गए। पुलिस की मानें तो इनमें सर्वाधिक एक दर्जन से अधिक बमबाजों की संख्या नाबालिग है। ज्यादातर आरोपित अभी पढ़ाई कर रहे हैं।देखिए बम व बमबाजी में धारा की धार
क्राइम के एक्सपर्ट अधिवक्ता कहते हैं कि पास में बम मिलने पर विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धारा 4/5 लागई गई है।
धारा 4/5 में सजा सात साल से कम है, जिसकी वजह से इस धारा के आरोपित को जमानत आसानी से मिल जाती है
किसी के दरवाजे, गेट या पब्लिक प्लेस पर बम फोडऩे पर सीएलए समाज में भय पैदा करने की धारा लगाई जाती है
सीएलए एक्ट की धारा में आजीवन कारावास तक की सजा का प्राविधान है, इसमें गिरफ्तारी भी बताई गई
किसी को टारगेट करके बम फेकने या उस बम की चपेट में आने से किसी के घायल होने पर गंभीर धारा 307 का केस दर्ज होता है
अधिवक्ता बताते हैं कि धारा 307 में दस साल तक या इससे अधिक की सजा का प्राविधान है, जमानत में मुश्किल होती है
यदि दर्ज किए गए मुकदमें में विस्फोटक पदार्थ अधिनियम व सीएलए एक्ट के साथ 307 की धारा है अपराध गंभीर हो जाता है
नौकरी व तमाम सुविधाओं से हुए वंचित
जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी कहते हैं कि विस्फोटक पदार्थ अधिनियम या सीएलए एक्ट को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए
क्योंकि जिनके खिलाफ भी इन धाराओं में मुकदमा दर्ज है उन्हें चरित्र प्रमाण पत्र आवेदन में पुलिस बेदाग नहीं लिखेगी
आरोपित के चरित्र प्रमाण की रिपोर्ट में पुलिस द्वारा इन मुकदमों को लिखकर भेज देगी, जिसका असर कॅरियर पर पड़ेगा
चरित्र प्रमाण पत्र में इन मुकदमों का जिक्र होते ही सरकारी नौकरी तो मिलने से रही, उसे गन का लाइसेंस भी नहीं मिलेगा
इतना ही नहीं इन मुकदमों के चार्जशीटेड आरोपितों की ठेकेदारी के लिए साल्वेंसी व पासपोर्ट भी आजीवन नहीं बन सकता
गार्ड तक की नौकरी में सिक्योरिटी गार्ड कंपनियों द्वारा पुलिस वेरीफिकेशन कराया जाता है, यहां भी वह मुकदमें रोड़ा बन जाएंगे
गुलाबचंद्र अग्रहरि, जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी वर्जन इस एक महीने में हुई बमबाजी की घटनाओं में जितने भी लोग पकड़े गए उनकी एज 20 से 22 या 18 वर्ष से कम रही। पूछताछ में मालूम चला है कि वह वह सभी पढऩे वाले स्टूडेंट है। घटना किए हैं तो मुकदमा गंभीर धाराओं में लिखकर कार्रवाई भी की गई। यह एक मुकदमा उन युवकों व बालकों का कॅरियर पर क्या असर डालेगा इसे हर अभिभावक को सोचना चाहिए।
शैलेश कुमार पांडेय, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक