जीएसटी के तहत समाधान योजना का लाभ लेने वाले कई व्यापारी अपनी बिक्री को छिपाकर सरकार ही नहीं उन व्यापारियों को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं जिनसे उन्हें सप्लाई मिलती है. समाधान योजना में ज्यादातर छोटे व्यापारी हैं. बड़े व्यापारी उन्हें माल की सप्लाई भेजने हैं. खुदरा व्यापारी पक्की बिल नहीं बनाते. इससे इंड यूजर का पता ही नहीं चलता. इससे थोक कारोबारी को सेल दिखाने में दिक्कत आती है.

प्रयागराज (ब्यूरो)। जीएसटी के अंतर्गत समाधान योजना में छोटे और खुदरा व्यापारियों को शामिल किया गया है।
पिछले दिनों विभागीय जांच में सामने आया कि जिन व्यापारियों का सालाना टर्न ओवर 1.5 करोड़ से अधिक है वह भी इस योजना का लाभ ले रहे हैं।
कुछ व्यापारियों की बिक्री तो 4 से 5 करोड़ रुपए तक पहुंच गई थी।
उन सबकी जांच कर वसूली की कार्रवाई की गई थी।

बिल देने के नाम पर अलग से मांगते हैं टैक्स
तमाम ऐसे भी व्यापारी हैं जो माल बेचने के नाम पर कच्चा बिल थमा देते हैं।
जब उनसे सामने वाला व्यापारी पक्का बिल मांगता है तो अलग से 18 फीसदी टैक्स मांगते हैं।
ऐसे में सामने वाला व्यापारी उनसे बिल की मांग नही करता है।
सच्चाई यह है कि किसी भी माल की एमआरपी में पहले से 18 फीसदी जीएसटी टैक्स जोड़ा जाता है।

क्या है समाधान योजना
समाधान योजना के व्यापारियों को तिमाही आधार पर रिटर्न मिलता है।
खरीदे गए माल पर उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं मिलता है
उन्हें अपनी कुल बिक्री पर एक फीसदी जीएसटी जमा करनी होती है।
इसमें प्रमुख एवं कर योग्य दोनों की गणना की जाती है।
व्यापारियों का कहना है कि सरकार को समाधान योजना के अंतर्गत टैक्स की दर एक फीसदी से घटाकर 0.5 फीसदी की जानी चाहिए।
यह भी मांग है कि समाधान योजना के वार्षिक रिटर्न जीएसटीआर 4 दाखिल करने की तिधि 30 अप्रैल होती है उसे 30 जून किया जाना चाहिए।

इस नियम में बदलाव होना जरूरी
जीएसटी को लेकर एक नियम है जो व्यापारियों को बहुत परेशान करता है। अगर कोई व्यापारी समाधान योजना में है तो वह उसे इससे बाहर निकलने या इसमें शामिल होने के लिए मार्च में आवेदन करना होता है। इसके बाद सालभर इस प्रक्रिया को दोहराया नही जा सकता है। ऐसा नही होने से कई बार छोटे व्यापारियों को दिक्कत होती है। पूरा प्रॉसेस ऑनलाइन होने की वजह से इस नियम में सरकार को छूट देनी चाहिए। छोटे व्यापारी के लिए समस्या यह है कि यदि उसका टर्नओवर पिछले वर्ष एक करोड़ रहा हो तो उसे लगभग एक लाख कर के रूप में जमा करना पड़ेगा और उसके रिफंड के लिए आवेदन करना होगा जिससे उसकी पूंजी सरकार के पास काफी समय के लिए फंस जाएगी।

व्यापारियों को ऐसा नहीं करना चाहिए। अगर कोई समाधान योजना में है तो उसकी सालाना बिक्री 1.5 करोड़ से कम ही होनी चाहिए। अन्यथा वह रेगुलर स्कीम को फालो कर सकता है।
सरदार दलजीत सिंह, व्यापारी

सरकार के लगातार जीएसटी के नियमों में बदलाव का कारण भी यही है कि व्यापारी टैक्स की चोरी करने लगता है। जिसका खामियाजा इमानदार व्यापारियों को भी भुगतना पड़ जाता है।
प्रवीण अग्रवाल, व्यापारी

सरकार को समाधान योजना का टैक्स एक फीसदी से घटाकर 0.5 फीसदी करना चाहिए। साथ ही जीएसटी आर 4 दाखिल करने के लिए तीस जूून तक समय दिया जाना चाहिए।
अनिल गोयल, व्यापारी

समाधान योजना से बाहर आने या शामिल होने के नियमों में थोड़ा बदलाव होना चाहिए। एक साल का लंबा गैप हेाने की वजह से कई बार दिक्कत होती है। योजना के नाम पर टैक्स चोरी उचित नही है।
विपिन बहल, व्यापारी

Posted By: Inextlive