हिन्दी साहित्य सम्मेलन के उन्नायक एवं पूर्व प्रधानमंत्री डॉ प्रभात शास्त्री की 22वीं पुण्यतिथि के मौके पर सम्मेलन के संग्रहालय सभागार में डॉ प्रभात शास्त्री के राष्ट्रवादी विचार विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया. अध्यक्षता सम्मेलन के परीक्षामंत्री डॉ हरिनारायण दुबे ने की. इविवि के सेण्टर आफ मीडिया स्टडीज के डॉ धनंजय चोपड़ा ने कहा कि राष्ट्रवादी होना किसी पार्टी या संगठन का क्षेत्र नहीं है. राष्ट्रवाद सबके रगों में बहता है.


प्रयागराज (ब्‍यूरो)। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के हिंदी डिपार्टमेंट के पूर्व एचओडी डॉ रामकिशोर शर्मा ने कहाकि, राष्ट्रवाद में भारत को बांधने का कार्य जितना राजनीतिक नहीं हुआ उससे ज्यादा धार्मिक प्रचारों ने किया। हमारा राष्ट्रबोध एक सीमा तक है। इसे विस्तार देने की आवश्यकता है। वास्तव में प्रत्येक व्यक्ति राष्ट्रवादी है। संकीर्णताओं को छोड़कर हम वृहत्तर सन्दर्भ में राष्ट्रीयता को समझें यही राष्ट्रवाद है। नरेंद्रदेव पांडेय ने कहा कि डॉ शास्त्री की लोकतंत्र और राष्ट्रवाद में विशेष आस्था थी। क्रांतिकारी स्वभाव के थे डॉ शास्त्री
अध्यक्षीय भाषण में सम्मेलन के परीक्षामंत्री डॉ हरिनारायण दुबे ने कहा कि डॉ प्रभात शास्त्री जी विद्रोही एवं क्रांतिकारी स्वभाव के शलाका पुरुष थे। श्यामकृष्ण पांडेय और विवेक सत्यांशु ने भी विचार रखे। स्वागत कुंतक मिश्र एवं संचालन व धन्यवाद ज्ञापन शेषमणि पाण्डेय ने किया। श्रीमती किरनबाला पांडेय, रमानिवास पांडेय, हरिनारायण मिश्र, पूर्णिमा मालवीय, दिनेश चंद्र मिश्र, राजकुमार शर्मा, किंठमणि मिश्र, आनंद पौराणिक, डॉ शेषनारायण शुक्ला, दुर्गानंद शर्मा, पवित्र तिवारी, सौरभ पांडेय आदि अनेक हिंदी प्रेमीजन उपस्थित थे।

Posted By: Inextlive