तेल में हो गया 'खेल व्यवस्था हुई फेल
प्रयागराज (ब्यूरो)। चालकों की हड़ताल के बीच तेल में ऐसा खेल हुआ कि व्यवस्था ही फेल हो गई। पेट्रोल व डीजल भरवाने के लिए फ्यूल पम्पों में सैकड़ों गाडिय़ां पहुंच गई। हर कोई तेल स्टोर करने के लिए टैंक फुल कराने लगा। परिणाम यह हुआ कि शाम होते-होते शहर के कई फ्यूल पम्पों पर तेल ही खत्म हो गया। तेल खत्म होने की खबर सुनते ही कतार में खड़े लोग हंगामें पर उतर आए। देर शाम कई जगह पेट्रोल पम्पों पर हंगामें की खबर आई। तेल के लिए अचानक बढ़ती भीड़ और हंगामें को देखते हुए कर्मचारी बवाल की आशंका से सहम गए। बवाल जैसी कोई स्थिति उत्पन्न नहीं हो इसलिए वह भी फ्यूल पंप बंद कर दिए। ऐसी स्थिति में तेल के लिए लोग परेशान नजर आए। देर शाम तक लोग पेट्रोल पम्पों पर इसलिए कतार लगाए रहे कि शायद फ्यूल पम्प चालू हो और उन्हें तेल मिल जाय।
इंतजार में देर रात तक खड़े रहे लोग
हिट एण्ड रन कानून के विरोध में चालक गाडिय़ां खड़ी कर दिए। चालकों के इस हड़ताल के चलते दो दिन से फ्यूल पम्पों पर डीजल व पेट्रोल नहीं पहुंच सका। ऐसी स्थिति में दूसरे दिन मंगलवार को अचानक बात फैली कि चालकों की हड़ताल कई दिनों तक चलेगी। ऐसे में फ्यूल पम्पों पर पेट्रोल व डीजल के टैंकर भी नहीं पहुंच सकेंगे। यह सब सुनते ही तमाम निजी वाहन चालक तेल में खेल शुरू कर दिए। जरूरत के अनुपात में डीजल पेट्रोल लेने के बजाय वह तेल स्टोर करने के लिए पूरी की पूरी टंकियां फुल कराने लगे। शाम होते-होते कई फ्यूल पम्पों पर कहीं डीजल तो कहीं पेट्रोल खत्म हो गया। यह सुनते ही लोग और हड़बड़ी में आ गए और वह ईधन स्टोर करने के लिए गाड़ी लेकर टंकियों पर जा पहुंचे। देखते ही देखते कोई ऐसी पेट्रोल पम्प नहीं जहां सैकड़ों गाडिय़ों की कतार नहीं लगी।
भीड़ बढ़ते देख पेट्रोल पंप कर दिए बंद
अचानक बढ़ी खपत को देखकर कई जगह कर्मचारी टंकी फुल करने से मना करने लगे। ऐसी टंकियों पर वाहन मालिकों और कर्मचारियों के बीच जमकर झड़पें भी हुईं। टंकी फुल कराने के लिए लोगों के उग्र होते तेवर को देख जहां पेट्रोल डीजल था वहां के भी कर्मचारी तेल देना बंद कर दिए। टंकी बंद करने के पीछे कर्मचारियों का तर्क यह था कि भीड़ अधिक है, लोग टंकी फुल कराने के लिए झगड़ा कर रहे हैं। पुलिस आकर लाइन लगवा दे तो जितना तेल है वह उतना शांति पूर्ण बांटेंगे। मगर, अफसर ऐसा करना उचित नहीं समझे। सूत्र बताते हैं कि टंकियों पर फोर्स लगाने के बाद अफसर शांति व्यवस्था बनाए रखने के उद्देश्य से मौखिक निर्देश देकर खुली हुई टंकियों को ही बंद करा दिए। ऐसे स्थानों पर तेल मिलने की उम्मीद में देर रात तक लोग वाहनों के साथ खड़े रहे। उनका मत था कि तेल है तो शायद कर्मचारी गुस्सा शांत होने के बाद तेल देना शुरू ही कर देंगे। देर रात तक तेल के लिए फ्यूल पम्पों पर ऐसे ही धक्का मुक्की व इंतजारी लोग करते रहे।
जानिए क्यों सूख गए कुछ पम्पों के टैंक
इतनी जल्दी ऐसे ही कुछ फ्यूल पम्पों के स्टोर टैंक नहीं सूख गए। इसके पीछे एक बड़ी वजह भी है। जिसके बारे में आपको भी समझने की जरूरत है।
पेट्रोल पम्पों पर लगी कतार और कुछ जगह तेल खत्म होने के बाद दैनिक जागरण आईनेक्स्ट रिपोर्टर समस्या की जड़ को खंगालने के लिए सूत्रों से संपर्क करना शुरू किया।
पेट्रोल व डीजल कारोबार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि 28 दिसंबर को एक खबर फैली थी कि तेल के दाम घटने वाले हैं।
तेल के दाम घटने की खबर फ्यूल पम्प के संचालकों तक पहुंची तो तेल मंगाने के बजाय टैंक में मौजूद तेल को खपाने में जुट गए।
क्योंकि टंकियों पर मौजूद तेल वह जिस रेट में उठाए थे दाम घटने के बाद उसे घटे हुए रेट पर उन्हें बेचना पड़ता। ऐसे में उन्हें घाटा लगने का डर सताने लगा।
महंगे रेट का मौजूद तेल खपाने के फेर में टैंकर मंगाया नहीं गया और इस बीच 31 दिसंबर को संडे छुट्टी पड़ गई।
एक जनवरी से चालक हिट एंड रन के विरोध में हड़ताल शुरू कर दिए। तेल का यही वह खेल है जिसके चलते शहर की कुछ टंकियों पर तेल जल्दी खत्म हो गया।
- शशांक वत्स, अध्यक्ष हिन्दुस्तान पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन
हमारे पास शाम चार बजे तक पेट्रोल था जिसे लोगों को दिया गया। डीजल भी बहुत नहीं बचा है। जब तक है डीजल लोगों को देंगे। इसके बाद गाडिय़ां आने के बाद ही ईधन लोगों को दे पाना संभव होगा। समस्या कहीं कोई नहीं है, बसर्ते लोग स्टोर करने के लिए गाडिय़ों का टैंक फुल नहीं कराएं। चालक गाड़ी लेकर आ नहीं रहे तो इसमें, हम या कोई क्या कर सकता है।
- अनिल मिश्रा, मैनेजर फ्यूल पम्प धोबीघाट चौराहा