बस स्टैंड से हनुमान मंदिर तक फुटपाथ पर है सवारी कार व ई-रिक्शा का कब्जामार्केट या काम से पहुंचे लोग रोड पर खड़ी कर दें गाड़ी तो पहुंच जाती है मल्टीलेवल पार्किंगरजिस्ट्रेशन नंबर प्लेट देखेंगे तो कतई भांप नहीं सकते कि ये कॅमर्शियल वाहन हैं. यह परमानेंट खड़े रहते हैं सिविल लाइंस बस अड्डे के समीप और खुलेआम सवारी लेकर वाराणसी और प्रतापगढ़ रोड पर निकलते हैं. इन्हें कोई रोकने-टोकने वाला नहीं है क्योंकि इनके मालिक या तो खुद सिस्टम का हिस्सा हैं या फिर उन्होंने सिस्टम को सेट कर रखा है.

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। रोडवेज बस स्टैंड से लेकर चौकी के बगल स्थित पार्क तक बने फुटपाथ पर इनका कब्जा है। फुटपाथ पर एक तरफ सवारी ढोने वाली कार खड़ी होती हैं, तो दूसरी ओर ई-रिक्शा। बस स्टैंड पर किसी को छोडऩे के लिए आने वाले व्यक्ति को अपनी कार रोड पर पार्क करनी पड़ती है। इससे यहां लगने वाले जाम का खामियाजा आम पब्लिक को भुगतना पड़ता है। सब कुछ खुली आंखों से दिखाई देने के बावजूद सिविल लाइंस पुलिस ने आंखें बंद कर रखी है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के रियलिटी चेक में बुधवार को इन कार वालों का चौंकाने वाला खेल सामने आया।

वसूली के लिए डिप्यूट है शख्स
सिविल लाइंस में फुटपाथ पर ये गाडिय़ां भोर से ही लग जाती हैं।
प्राइवेट कार चालकों ने अपने एजेंट सेट कर रखे हैं जो रोडवेज प्रिमाइस के भीतर तक से पैसेंजर बुलाकर ले आते हैं
रोडवेजकर्मी इन्हें रोक दें तो मारपीट की नौबत आ जाती है
सूत्र बताते हैं कि फुटपाथ पर कार खड़ी करके सवारी भरने के लिए प्रति दिन सुविधा शुल्क वसूला जाता है
एक शख्स इस काम के लिए डिप्यूट किया गया है।
रिपोर्टर ने कुछ कार चालकों से फुटपाथ पर गाड़ी खड़ी करने पर सवाल किया तो वह तैश में आ गया
इसी झोंक में वह पूरी पोल खोल गया। उसका जवाब था यहां कार खड़ी करके सवारी भरने का पैसा देते हैं।
किसे देता है यह बात बताने के बजाय वह चुप्पी साध गया।
थोड़ी दूरी पर खड़े एक दूसरे चालक से नाम पूछने पर बताया कि उसका नाम बग्गा है।

पुलिस वाले भी चला रहे गाड़ी
रिपोर्टर ने बस स्टैंड के पास फुटपाथ पर सवारियों के इंतजार में खड़े कुछ कार वालों से भी बात की। एक सवाल के जवाब में चालकों ने कहा कि प्रयागराज की तरह वाराणसी में भी सिस्टम है। दो सौ रुपये के रेट पर यह सिस्टम रन करता है। इसका फायदा यह होता है कि कोई रोकने-टोकने वाला नहीं होता है। सारा खर्चा काटने के बाद भी हजार-पंद्रह सौ रुपये बच जाते हैं। कई पुलिस वाले हैं जिनकी कार से ड्राइवर यहां सवारी ढोते हैं, एक दो गाडिय़ां प्रेस वालों की हैं।

बगैर टैक्सी परमिट लिए कोई भी कार सड़क पर सवारी बैठाकर नहीं चल सकती। सड़क पर ही नहीं, बुकिंग के लिए भी टैक्सी परमिट अनिवार्य है। यदि कोई पर्सनल कार से सवारी ढो रहा है तो सरासर गलत है। जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
सियाराम वर्मा आरटीओ प्रशासन

Posted By: Inextlive