'सिया रघुबर जी के संग पडऩ लागी भाँवरिया
प्रयागराज (ब्यूरो)। श्री पथरचट्टी रामलीला कमेटी के तत्वावधान में नवग्रह मंदिर प्रिमाइस में चल रही रामलीला में मंगलवार को राम विवाह से लेकर मंथरा के उकसाने पर कैकेयी के राजा दशरथ से दो वरदान भरत को राजगद्दी और राम को वनवास मांगने के लिए तैयार करने तक की लीला का मंचन किया गया। शुरुआत में जनकपुर में आमोद का माहौल दिखा। अयोध्या से महाराज दशरथ बारात ले कर आये है। चारो राजकुमार राम, भरत, लक्ष्मण, और शत्रुघ्न दूल्हा बने हैं। जनकपुर के लोग निहाल हो इन्हें देख रहे हैं। विवाह वेदिका और चारो भाई दूल्हा, सीता, मांडवी, ऊर्मिला और श्रुतिकीर्ति दूल्हन के रूप में हैं।
बैकग्राउंड में मंगल ध्वनि के साथ वैदिक मंत्रों के पावन स्वरों की गूंज सुनाई देती है। फिर सिया रघुबर जी के संग पडऩ लागी भाँवरिया। विवाह के बाद चारों राजकुमार गौरवान्वित पिता के साथ अयोध्या लौटते है। माताओं के आनंद की सीमा नहीं है। इसके बाद मंच पर अयोध्या का राज दरबार सजा दिखायी देता है। महाराज दशरथ को लगता है कि राम अब समर्थ हो गए हैं तो उन्हें राजकाज भी सौंप दिया जाना चाहिए। दरबार में मंत्रियों, विद्वतजनों से दशरथ सलाह मांगते हैं तो सभी एक स्वर में राम को अयोधया का सिंहासन सौंपने को कहते हैं। यह जानकारी होते ही अयोध्या नगरी जश्न में डूब जाती है। उत्सव के बीच कैकेयी की दासी मंथरा को पता चलता है कि रानी कौशल्या का पुत्र राजा बनेगा। ईष्र्या और क्रोध में भरी वह कैकेयी के कक्ष में पहुंचती है। उन्हें उकसाती है कि वह दशरथ की जान बचाने के समय दिये गये वरदान मांगने के वचन का इस्तेमाल करें। वरदान के रूप में राम को 14 वर्ष का वनवास और भरत को अयोध्या की राजगद्दी सौंपना महाराजा दशरथ से मागें। यहां पहुंचकर रामलीला विराम ले लेती है।