उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र की ओर से चल रहे राष्ट्रीय शिल्प मेला में बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं. शिल्प हाट के प्रांगण में एक से बढ़कर एक कलाकृतियां देखने को मिल रही हैं. शिल्पगत सामानों में जहां एक ओर सहारनपुर के बने फर्नीचर और बनारसी साडिय़ों की चमक बनी हुई है वहीं कुटीर उद्योग को बढ़ावा देती धूप बत्तियों हवन सामग्रियां और चंदन लोगों को खूब भा रही हैं. यहां पहुंच रहे लोग इसे बड़ी मात्रा में खरीद रहे हैं. साथ ही सुपाड़ी के अनेकों स्वादिष्ट रूप को मेले में आये हुए लोगों द्वारा खूब पसंद किया जा रहा है.


प्रयागराज (ब्‍यूरो)। सायंकालीन संध्या की आठवीं कड़ी में अमीर खुसरों के गीत ''सइया के रंग हजार की प्रस्तुति, युवा गजल व सूफी गायक जलज और कबीर द्वारा प्रस्तुत किय गया। वाराणसी से पधारी प्रयागराज में अपनी दीक्षा-दीक्षा ग्रहण की युवा कथक नृत्यांगना शिवानी मिश्रा और उनके समूह द्वारा कथक नृत्य प्रस्तुत किया गया। झारखण्ड के कलाकारों द्वारा खरसवां छऊ की प्रस्तुति की दर्शकों ने खूब सराहा। गुजरात की पारम्परिक गरबा नृत्य और डांडियां की प्रस्तुति नीतिन दबे और साथी कलाकारों द्वारा दी गयी। हिमांचल से आए राजकुमार राजकुमार और संगतकारों ने सांगला नृत्य प्रस्तुत किया। पंजाब में विवाह के अवसर पर बरातियों का स्वागत करने के लिए किया जाने वाले जिन्दुआं नृत्य की प्रस्तुति रवि कन्नूर और साथी कलाकारों ने की। मिर्जापुर से पधारे जटाशंकर के दल द्वारा चौलर नृत्य की प्रस्तुति को दर्शकों ने सराहा। वैशाखी के अवसर पर किया जाने वाले भांगड़ा नृत्य को अपने पारम्परिक परिधानों में सुसज्जित होकर ढोल की थाप और अलगोजे की धुन पर भांगड़ा नृत्य का प्रदर्शन दर्शकों में उत्साह का संचार किया छऊ नृत्य के माध्यम से माता रानी के महिषासुर मर्दिनी प्रसंग को जीवन्तता प्रदान की।

Posted By: Inextlive