पैरेंट्स की जेब काट रही है 'रिफरेंस बुकÓ
प्रयागराज ब्यूरो । मजबूरी में फिक्स दुकान से होती है खरीद फरोख्त, प्रकाशक रोक देता है सप्लाई, भटकते रहते हैं पैरेंट्सनए सेशन में प्राइवेट स्कूलों की कॉपी किताबों के नाम पर वसूली में रिफरेंस बुक का बड़ा खेल होता है। यह बुक प्रत्येक प्रकाशक की ओर से अलग-अलग नाम से निकाली जाती है और फिर प्रत्येक क्लास के बुक सेट में इसे अनिवार्य कर दिया जाता है। अगर पैरेंट्स किसी दूसरी शॉप से बुक्स खरीदना चाहे तो रिफरेंस बुक के चक्कर में ऐसा नही हो पाता है। इन बुक्स का दाम भी बाकी बुक से अधिक रखा जाता है। फुटकर नही मिलती किताबें, सेट में लीजिए
दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने जब शहर के अलग-अलग बुक शॉप से बात की तो पता चला कि यहां हर क्लास का बुक सेट बेचा जाता है। एक या दो किताबें नही दी जाती है। ऐसे में बुक सेलर्स का कहना है कि हमारा सेट खराब हो जाता है। जबकि पैरेंट्स का कहना है कि अगर कुछ किताबें अरेंज कर ली जाएं तो भी बाकी बुक्स नही मिलती हैं। ऐसे में सेट खरीदना जरूरी हो जाता है।रोक दी जाती है रिफरेंस बुक की सप्लाई
पैरेंट्स बताते हैं कि प्रकाशक जान बूझकर रिफरेंस बुक की सप्लाई रोक देते हैं जिससे उनकी डिमांंड बढ़ जाती है। फिर इसे अधिक रेट में बेचा जाता है। स्कूलों की ओर से इन बुक्स को सिलेबस में अनिवार्य कर दिया जाता है। पैरेंट विनोद वर्मा की बेटी जीएचएस में पढ़ती है। उन्होंने बताया कि छह किताबें पहले 3500 रुपए की खरीदी थी। अब फिर से 5 किताबें इतने ही कीमत की खरीदी हैं। वह कहते हैं किताबों का रेट बढ़ गया है। इसी तरह प्रदीप सिंह का बेटा बीएचएस में क्लास वन में पढ़ता है। उन्होंने बताया कि 2840 रुपए कीमत की केवल आधी बुक मिली हैं। बाकी की शार्टेज चल रही है। इन किताबों को खरीदने में निकल जाता है पसीनाशहर के तमाम प्राइवेट स्कूल नेशनल पब्लिशर्स की किताबों को अपने कोर्स में शामिल करते हैं। ऐसी कई किताबे हैं जो शहर के कई सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड के स्कूलों में चलती हैं। इनके रेट इतने अधिक हैं कि इनको खरीदने में पैरेंट्स का पसीना छूट जाता है। हर क्लास में इनका रेट अलग होता है। आइए जानते हैं इन किताबों के नाम और रेट-नाम क्लास रेटव्याकरण संबोध 8 535
एनीटाइम ग्रामर 8 550आईसीएसई मैथ 8 655सरस भारती 8 410टेक इनसाइड 8 435(6 से 8 क्लास तक इन किताबों के रेट स्कूलों में 400 से 700 के बीच रखे गए हैं, इसके अलावा पोएट्री मैजिक, फिजिक्स, केमेस्ट्री, हिस्ट्री सिविक्स, जीके आदि की किताबें कई स्कूलों में चल रही हैं)हमारी गलती नही, हमें केवल 15 परसेंट मिलता हैशहर में प्राइवेट स्कूलों के आथराइज्ड बुक सेलर्स का कहना है कि हमारा काम केवल किताबे बेचना है। हमे इसके एवज में केवल 10 से 15 फीसदी मिलता है। नाम न छापने की शर्त पर उन्होंने बताया कि स्कूल वाले प्रकाशक का चयन करते हैं। महंगी किताबें देखकर पैरेंट्स हमें भला बुरा कहते हैं। किताब या चैप्टर चेंज हो जाने पर भी हमसे सवाल पूछा जाता है, लेकिन हमारी इसमें कोई गलती नही है। बीएचएस की किताबों का रेटक्लास सेट की कीमत1 5329
2 55393 67394 64285 68586 84397 84098 87479 6816जीएसएस की किताबों का रेटनर्सरी 3070केजी 3140प्रेप 32801 51802 6150
3 70404 57205 58406 86707 86708 87809 8260किताबों का रेट बढ़ गया है। कोरोना की पूरी कसर इस साल स्कूलों ने निकाल ली है। फीस में भी इजाफा कर दिया है। पैरेंट्स की किसी को चिंता नही है। अनिल सिंहलूट मची हुई है। प्राइवेट स्कूल संगठित रूप से पब्लिक से मोटी रकम वसूल रहे हैं। कोई बोलने वाला नही है। जैसा स्कूल कह रहे हैं लोग करने को मजबूर हैं।ठाकुर अभिषेक सिंहस्कूलों का हाल बहुत खराब है। किताबों का सेट इतना महंगा है कि लोग परेशान हैं। कुछ किताबें तो इतनी महंगी हैं कि उन्हें खरीदने मे पसीना निकल जाता है।प्रतीक सिंहकोरोना में स्कूलों को काफी नुकसान हुआ था। इसकी कसर अब निकल रही है। जो किताबें 400 की थी वह इस बार 500 रुपए में बेची जा रही हैं। चैप्टर चेंज है इसलिए पुरानी किताबें भी यूज नही कर सकते।गौतम सिंह