'मानवता का मूलाधार है राम का चरित्र
प्रयागराज ब्यूरो ।भारतीय कला और साहित्य में श्रीराम एवं रामकथा तथा वैश्विक संस्कृतीकरण पर उसका प्रभावÓ विषय पर आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए चीफ गेस्ट जस्टिस सूर्यप्रकाश केसरवानी ने कहा कि राम का चरित्र मानवता का मूल आधार है। राम स्वयं परम ब्रह्म है और हम सब उनके अंश है। राम का चरित्र समाज को एक दिशा देने का कार्य करता है। प्रभु श्रीराम ने मानवता के उत्थान के लिए सत्ता ग्रहण किया था और सत्ता पर रहते हुए स्वयं एवं अपने परिवार को कितना कष्ट सहते हुए भी अद्भुत त्याग का प्रदर्शन किया था सिर्फ इसलिए कई कड़े निर्णय उन्होंने लिए, जिससे समाज में कोई गलत संदेश न जाने पाये।राजनीति आज का धर्म है
जस्टिस केसरवानी ने कहा कि धर्म दूरगामी राजनीति है और राजनीति आज का धर्म है। इसको हमें समझना पड़ेगा। कहाकि आजादी के बाद हमारे देश के संचालन के लिए जिस संविधान का निर्माण किया गया उन निर्माणकर्ताओं ने भी राम के चरित्र से भी प्रेरणा लेकर संविधान का निर्माण किया। संविधान का मूल आधार आर्टिकल-3 जो हमारे मूल अधिकारो को प्रदर्शित करता है जो राम के चरित्र पर ही मूल रूप से आधारित है। इसके पूर्व भारतीय इतिहास एवं अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली (शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार) द्वारा प्रायोजित एवं सम्राट हर्षवर्धन शोध संस्थान, प्रयागराज द्वारा आयोजित इस दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का द्वीप प्रज्ज्वलन कर जस्टिस सूर्यप्रकाश केसरवानी, मेयर उमेश चन्द्र गणेश केसरवानी, लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रो केवी पाण्डेय, बीएचयू के प्राचीन इतिहास, संस्कृति एवं पूरातत्व विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो। सीताराम दुबे, सम्राट हर्षवर्धन शोध संस्थान के अध्यक्ष अनिल कुमार गुप्ता 'अन्नू भैयाÓ सम्राट हर्षवर्धन शोध संस्थान के निदेशक एवं कार्यक्रम के मुख्य आयोजक रामरती पटेल पीजी कॉलेज के प्रोफेसर डॉ प्रदीप केसरवानी ने उद्घाटन किया। तत्पश्चात शंखध्वनि और सरस्वती वन्दना के पश्चात मुख्य कार्यक्रम शुरू किया गया। किताबों का लोकार्पण भी हुआ
प्रोग्राम के दौरान ही डॉ। प्रदीप केसरवानी द्वारा संकलित पुस्तक 'प्राचीन भारत में विज्ञान एवं प्राद्योगिकीÓ और जनपद के प्रसिद्ध कवि डॉ श्लेष गौतम द्वारा रचित पुस्तक 'राम युग से परे राम युगबोध हैंÓ का अतिथियों द्वारा विमोचित किया गया। अध्यक्षता प्रो0 केबी पाण्डेय ने की। मेयर गणेश केसरवानी, अनिल कुमार 'अन्नूÓ, प्रो सीताराम दुबे, डॉ। प्रदीप केसरवानी ने अपनी बात रखी। सेमिनार में 10 से अधिक विदेशी अध्येयताओं ने ऑनलाइन पेपर प्रस्तुत किया। आज दो तकनीकी सत्रों के संचालन में कुल 30 से अधिक अध्येयताओं ने अपना रिसर्च पेपर पढ़ा। 5 नवम्बर को भी 4 सत्रों में 200 से अधिक प्रतिभागियों द्वारा प्रतिभाग किया जायेगा। प्रो एचएम दुबे, प्रो सुनीती पाण्डेय, डॉ उषा केसरवानी, डॉ वन्दना गुप्ता, डॉ रामानुज, डॉ ओपीएल श्रीवास्तव, प्रो पुरूषोत्तम दास, डॉ मीनाश्री यादव, डॉ वीरेन्द्र मणि त्रिपाठी, डॉ सतीश सिंह, डॉ। जमील अहमद, डॉ। पंकज कुमार, डॉ। रविशंकर, डॉ पवन कुमार, डॉ सुभाष पाल, डॉ प्रबोध मानस, मनोज गुप्ता सहित भारी संख्या में अध्येयता व प्रयागराजवासी उपस्थित रहे।