जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान की ओर से विश्वहिन्दी-दिवस के अवसर पर संस्थान के सभागार में व्याख्यान और कर्मशाला का आयोजन किया गया. मुख्य अतिथि भाषाविज्ञानी एवं समीक्षक आचार्य पृथ्वीनाथ पाण्डेय थे. उन्होंने अपनी कर्मशाला के अन्तर्गत संस्थान के सैकड़ों प्रशिक्षणार्थियों को एक-एक शब्द को व्याकरणस्तर पर विभाजित कर उसमें निहित सन्धि समास धातुशब्द-रूप उपसर्ग प्रत्यय आदिको समझाया और लिखाया. उन्होंने उन सामान्य शब्द-व्यवहार और वाक्यप्रयोग को सकारण अशुद्ध ठहराया जिनका आज शिक्षाजगत् मे निस्संकोच प्रयोग किया जा रहा है. उन्होंने कहा भले ही हम हिन्दी का विस्तार कर लें फिर भी शुद्धता के साथ यदि शैक्षणिक संस्थानो मे उसका व्यवहार नहीं होता है तो वह विस्तार औचित्यहीन है.


प्रयागराज (ब्‍यूरो)। आचार्य पाण्डेय ने शताधिक शुद्ध शब्दों पर सोदाहरण प्रकाश डाला। उन्होंने फूल-कली का विभेद, महोदय का प्रयोग-रूप, जन्मदिन-जन्मतिथि, परिक्षा-परीक्षा, और, एवं, तथा, नकारात्मक-सकारात्मक शब्द-संगति, ध्वनि और मात्राविज्ञान, संख्यात्मक उच्चारण, जिला-जिला, मिष्टान्न-मिष्ठान्न, आरोपी-आरोपित, विज्ञान-विज्ञानी, रंग-रँग, चिह्न-चिन्ह, चाहिए-चाहिये, विविध-विभिन्न, योजक-चिह्न, निर्देशक-चिह्न, कोष्ठक-प्रयोग, उपविरामचिह्न, एकल-युगल उद्धरणचिह्न, सम्बोधनचिह्न, विवरणचिह्न, लघ्वक्षर, प्रावधान-प्रविधान, पुनरु1ित-दोष आदिक का वाक्य मे प्रयोग करते हुए समझाया था। प्रशिक्षणार्थियों ने प्रश्न और प्रतिप्रश्न किये थे, जिनके उत्तर-प्रत्युत्तर आचार्य ने दिये थे। सभी छात्र-छात्राओं तथा अध्यापकों ने ध्यानपूर्वक कर्मशाला मे सहभागिता की थी। डॉ राजेशकुमार पाण्डेय ने अतिथियों का स्वागत किया। प्रवक्ता रेखा राम, डॉ रमेशकुमार सिंह, आलोक तिवारी, शिवनारायण सिंह ने अपनी बात रखी। रामाश्रय यादव ने शाइराना अन्दाज में संचालन किया। उपनिदेशक एवं प्राचार्य राजेन्द्र प्रताप ने समारोह का संयोजन किया।

Posted By: Inextlive