कोरोना, डेंगू के बाद डरा रहा 'खसरा'
अप्रैल से अब तक 53 केस आ चुके हैं सामने
विशेष टीकाकरण अभियान चलाने को मजबूर स्वास्थ्य विभाग
9 जनवरी से चलेगा अभियान
खसरा और रूबेला पर वर्ष 2023 तक पूर्ण नियंत्रण पाने के लिए नौ जनवरी से विशेष टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा। सभी बच्चों को अभियान की अवधि में एमआर की खुराक आवश्यक रूप से दी जानी है। ब्लॉक स्तर पर आशा-एएनएम को सर्वे के लिए प्रशिक्षण दिया जा चुका है। ब्लॉक स्तर पर भी टास्क फोर्स बनाकर कार्य योजना की तैयारियों पर लगातार ब्लॉक व जनपद स्तरीय कार्य समीक्षा बैठक आयोजित की जा रही है।
बच्चों का नियमित टीकाकरण जरूर कराएं। बच्चों का नियमित टीकाकरण पूरा हो जाने से उनके संक्रामक बीमारियों की चपेट में आने की संभावना कम हो जाती है। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान विशेष टीकाकरण अभियान और इंद्रधनुष अभियान चलाकर नियमित टीकाकरण से छूटे हुए बच्चों को टीका लगाया गया था। दोबारा से इस विशेष पखवाड़ा के माध्यम से शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में जन्म से पांच साल तक के ऐसे बच्चों का सर्वे कराकर सूची तैयार की जा रही है। जिन बच्चों को खसरे का टीका नहीं लग पाया है। 19 से 24 दिसंबर तक सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ), एएनएम और ब्लॉक स्तरीय पर्यवेक्षक सर्वे का वैलीडेशन करेंगे।
तीन चरणों में चलेगा पखवाड़ा
डीआईओ डॉ तीरथ लाल ने बताया कि पखवाड़ा तीन चरणों में चलेगा
इस दौरान नियमित सत्र को प्रभावित नहीं किया जाएगा।
पखवाड़ा का पहला चरण नौ जनवरी से 20 जनवरी तक चलेगा।
इसके बाद 13 फरवरी से 24 फरवरी तक दूसरा और 13 मार्च से 24 मार्च तक तीसरा चरण चलेगा।
ब्लॉक स्तर के अधिकारियों को इस बारे में प्रशिक्षित किया जा चुका है।
अभियान को सफल बनाने के लिए टीके की डोज़ जल्द ही सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में भेज दी जाएगी।
आशा कार्यकर्ता जिन घरों में सर्वे करने के लिए जाएंगी, वहां उन्हें घर, संख्या और सर्वे की तिथि अंकित करनी होगी।
अभियान की समाप्ती के बाद मांपप राउंड चलाकर छूटे हुए बच्चों की रिपोर्ट एएनएम के माध्यम से नोडल अधिकारी को दी जाएगी।
साथ ही शहर में दूरदराज के जो भी ऐसे क्षेत्र हैं जहां लोग नियमित टीकाकरण कराने के लिए नहीं जाते उनके लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा।
इसके लक्षण आमतौर पर दूसरे सप्ताह के भीतर आने शुरू हो जाते हैं।
इससे पीडि़त बच्चे के सीधे संपर्क में आने से भी खसरे का संक्रमण हो सकता है।
बच्चों में इसके शुरुआती लक्षण हैं बुखार का आना, सर्दी-जुकाम के साथ शरीर पर दाने या चकत्ते पड़ते हैं।
अगर समय पर उपचार नहीं कराया गया तो दिमागी बुखार का भी खतरा हो सकता है, जो जानलेवा है। मीजल्स और रुबेला को काबू में करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा। जिसका सर्वे अभी से शुरू करा दिया गया है। पैरेंट्स से निवेदन है कि अपने बच्चों को टीके की खुराक जरूर लगवाएं।
डॉ। नानक सरन सीएमओ प्रयागराज