स्टार्टअप. सुनने में यह नाम भारी भरकम लगता है. शुरुआत करने का विचार मन में आते ही तमाम सवाल घूमने लगते हैं. प्रोजेक्ट क्या होगा? इनवेस्टमेंट कहां से आयेगा? मार्केट क्या है? प्रोडक्ट सेल कहां होगा?

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। इन सवालों के जवाब तलाशने में ही इस थॉट पर धूल की पर्त जमनी शुरू हो जाती है। नतीजा तमाम लोग बेहतर आइडिया होने के बाद भी इस दिशा में कदम आगे नहीं बढ़ा पाते हैं। इन सवालों का जवाब तलाशने और स्टार्टअप की दिशा में कदम बढ़ाने वाले की मदद करने के लिए तमाम इंस्टीट्यूशन कदम आगे बढ़ा रहे हैं। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी भी इसमें से एक है। यहां के इन्क्यूबेशन सेंटर में स्टार्टअप मेला लगाया गया ताकि नये लोगों को पूरी जानकारी दी जा सके। उनके आइडिया को परखा जा सके। इसी से प्रेरित होकर हम यह सिरीज शुरू कर रहे हैं। थॉट यह है कि आप को बस इतना समझना है कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता। बस शुरू करने की देर होती है। आपका मन लग गया तो फिर बाकी सवालों के जवाब अपने आप आने शुरू हो जाते हैं।

कोरोना काल में आया आइडिया
आज हम बात कर रहे हैं स्टार्टअप मदारी मेटेयर की। इसकी ओनर है सिमरन केसरवानी। सिमरन का परिचय यह है कि उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के फाइन आर्ट डिपार्टमेंट से फैशन डिजाइनिंग का कोर्स किया है। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में लगे स्टार्टअप मेला में अपना प्रोजेक्ट लेकर पहुंची सिमरन ने दैनिक जागरण आई नेक्स्ट से डिटेल बात की। आइडिया कहां से आया? इसके जवाब में सिमरन का कहना था कि कोरोना काल में लॉकडाउन लगा था। हम सब घरों में कैद थे। समाचार पत्रों को छोड़ दें तो कुछ भी नया नहीं आता था। खबरों में भी सिर्फ कोरोना था। घर में बैठे थे। टाइम पास करने के लिए दिमाग दौड़ाना शुरू कर दिया तो दिमाग अपने डिपार्टमेंट के कुछ छात्रों की तरफ गया जो वेस्ट मॅटिरियल से कुछ न कुछ क्रिएट किया करते थे। घर के आसपास उन दिनो तमाम वेस्ट मॅटिरियल पड़ा दिखायी देता था। इसी से आइडिया आया कि क्यों न इस वेस्ट मॅटिरियल को ही स्टार्टअप का जरिया बनाया जाय। इस थॉट के पीछे एक बड़ा रीजन यह भी था कि रॉ मॅटिरियल के लिए कहीं भटकना नहीं था। इंवेस्टमेंट के लिए भारी भरकम राशि की जरूरत नहीं थी। इसके बाद मैने इस पर काम शुरू कर दिया और आगे बढ़ती चली गयी।

27 को लगा था मेला
27 मार्च को इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में स्टार्टअप मेले में कुल 36 स्टाल रजिस्टर्ड कराये गये थे। सिमरन केसरवानी भी इसका हिस्सा थीं। मदाररी मेटेयर का रिस्पांस क्या है और मार्केट कितना बड़ा संभावित हो सकता है? इसके जवाब में सिमरन का कहना था कि यह न्यूनतम लागत से तैयार होने वाला प्रोडक्ट है। मैने इसकी शुरुआत पॉकेट मनी से की थी। स्टार्टअप की सबसे खास बात यह है इंवेस्टमेंट लो है तो इसकी कास्ट बहुत हाई नहीं है। गिफ्ट आइटम के साथ ही घर के डेकोरेशन के लिए इसकी डिमांड है। बजट का प्रोडक्ट होने के चलते लोग इसे परचेज करते हैं। रही मार्केट की बात तो यह अनलिमिटेड है। आगे मुझे देखना है कि इसमें मैनपावर को कैस जोडऩा है और नए सेल प्वाइंट तैयार कैसे करने हैं। इसे लगातार एक्सप्लोर कर रही हूं।

क्या क्या प्रोडक्ट बनाते हैं
होम डेकोरेशन के आइटम
गिफ्ट आइटम
बांस के मास्क
सड़े पेपर से लूडो

मेटेयर शब्द का इस्तेमाल क्यों?
इसके जवाब में सिमरन बताती हैं कि यह शब्द को उन्होंने फ्र ांसिसी शब्दकोश से उठाया है। यह अंग्रेजी का शब्द है और इसका हिंदी में अर्थ होता है व्यापार। इसीलिए इस शब्द को अपने स्टार्टअप का नाम दिया। इससे यह यूनीक भी हो गया और पब्लिक को अट्रैक्ट करने वाला भी।

हम स्टार्टअप को प्रमोट करने के लिए इन्क्यूबेशन सेंटर पर काम कर रहे हैं। इसी के बैनर तले स्टार्टअप मेला का आयोजन किया गया था। इस सेंटर पर स्टार्टअप में इंट्रेस्ट शो करने वालों को सहायता के साथ हर तरह की सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी।
प्रो। अजय कुमार सिंघल
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी

इस स्टार्टअप की सबसे खास बात यह है कि इसमें कोई इंवेस्टमेंट नहीं है। वेस्ट मॅटिरियल का इस्तेमाल किया जाना है। कई स्थानों पर पूरा का पूरा पार्क ही वेस्ट मॅटिरियल से तैयार किया गया है। यहां लो पे करके विजिट करने जाते हैं। इस प्रोडक्ट का इस्तेमाल इस लेवल का हो सकता है। इसमें असीम संभावनाएं हैं। जरूरत यह है कि इससे ऐसे लोग जुड़ें जो व्यवसाय के साथ इससे दिल से जुड़ें।
सिमरन केसरवानी
ओनर स्टार्टअप मदारी मेटेयर

Posted By: Inextlive