'कथा संग्राम की प्रभावशाली प्रस्तुति
प्रयागराज (ब्यूरो)। कथा संग्राम की एक ऐसी नाट्य प्रस्तुति है जहाँ श्रीकृष्ण, पांचाली तथा शकुनि, ये तीन किरदार महाभारत की कथा को आप तक पहुँचा रहे हैं। पुत्र तथा बहन मोह से पनपा युद्घ स्त्री अस्मिता को किस प्रकार छिन्न-भिन्न करता है तथा स्त्री-अस्मिता की हानि किस प्रकार पृथ्वी के सबसे बड़े महायुद्ध का कारण बनती है। धर्म की हानि किस प्रकार समस्त मानव सभ्यता की हानि सिद्ध होती है। किसी झगड़े के केंद्र में स्त्री को रखने से ज़्यादा ज़रूरी है मानव सभ्यता के उत्थान के केंद्र में रखा जाए। महाभारत जैसे महाकाव्य ने हमारे मनोविज्ञान में अपना एक ऐसा स्थान दर्ज किया है जिसमें मनुष्य के नैतिक पतन से लेकर नैतिक उत्थान तक के सारे भाव समाहित है। सिफऱ् इस कथा के आधार पर कोई मनुष्य अपने जीवन में सही गलत के अंतर को समझ सकता है। नाट्य-मंचन के प्रत्येक अंश जैसे मंच-सज्जा, पत्रों की वेशभुषाएँ, ध्वनि एवं प्रकाश संचालन विशेष रूप से भव्यता प्रदान करते हुए सुसज्जित किया गया था। कलाकरों ने अपने अभिनय से दर्शकों को बांधे रखा। द्रौपदी की भूमिका ऋतिका अवस्थी, कृष्ण की भूमिका अमितेश, शकुनि की भूमिका आशीष, गांधारी की भूमिका मौमिता चटर्जी, धृतराष्ट्र की भूमिका रवीन्द्र, भीष्म पितामह की भूमिका सत्यम सिंह राजपूत, पांडव की भूमिका शुभम, पुनीत, हेमंत, सिद्धार्थ, प्रणय, गुरु द्रोणाचार्य की भूमिका ऋषभ गुप्ता, अंगराज कर्ण की भूमिका वेद प्रकाश तिवारी, दुशासन की भूमिका हर्षित पांडे, उद्घोषना शैलेश श्रीवास्तव द्वारा निभाई गयी।