'जरूरत के लिए बना था फैशन बन गया, अच्छा सुनने की जगह ऊंचा सुनने लगेÓ
प्रयागराज (ब्यूरो)।लगातार ईयर फोन लगाने की आदत कानों को नुकसान पहुंचा सकती है। तेज आवाज में गाने सुनने से कान और ब्रेन की नसों पर बुरा प्रभाव पड़ता है और धीरे धीरे साइड इफेक्ट दिखने लगते हैं। अस्पतालों की ओपीडी में अब ऐसे मामले आना शुरू हो गए हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि युवाओं की इस आदत पर उनके परिजनों को ध्यान देना चाहिए। अगर इंडीकेशन दिखाई पडऩे लगे तो तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें।
वार्निंग को मत करें इग्नोर
आजकल युवाओं में ईयर फोन लगाने की हैबिट तेजी से बढ़ रही है। वह कई कई घंटे तक कानों में ईयर बड या ईयर फोन लगाकर ऊंची आवाज में गाने सुनते हैं। डॉक्टर्स कहते हैं कि 45 से 50 डेसिबल तक आवाज सुनी जा सकती है लेकिन इससे अधिक साउंड कानों की मसल्स को कमजोर बनाती है। अक्सर ईयर फोन की साउंड तेज करने पर मोबाइल की स्क्रीन पर वार्निंग लिखकर आती है। इसका मतलब होता है कि इससे अधिक तेज करने पर 60 डेसिबल से अधिक साउंड होगी जो कानों को नुकसान पहुंचा सकती है। लेकिन लोग इसे इग्नोर कर देते हैं जो घातक है।
इन लक्षणों से रहें होशियार
कानों में सीटी गूंजना
भिनभिनाने या फुफकारने की आवाज
सिर दर्द और माइग्रेन का अटैक
कान और जबड़े के बीच दर्द
ईयर फोन लगाते समय भीतर दर्द होना
एसआरएन अस्पताल की ओपीडी में रोजाना दो से ढाई कान के मरीज आते हैं। इनमें से 15 से 20 फीसदी मरीज युवा होते हैं और इनको कान में सीटी गूंजने, भिनभिनाहट, सिरदर्द की शिकायत होती है। पूछताछ में परिजन या दोस्त बताते हैँ कि मरीज ईयर फोन अधिक यूज करता है। ऐसे में मरीजों की काउंसिलिंग की जाती है अब कम से कम ईयर फोन का इस्तेमाल करें। अन्यथा पूरी तरह बहरे हो सकते हैं। सुनने की क्षमता कम होने पर मरीज का लंबा इलाज किया जाता है। अधिक ईयर फोन यूज करने के बहाने
कोचिंग की ऑनलाइन क्लासेज ज्वाइन करना पड़ता है।
दोस्तों से बात करने के दौरान लगाना पड़ता है।
गाने सुनने का शौक इसलिए ईयर फोन लगाना पड़ता है।
बाइक या कार चलाते समय सहूलियत होती है।
बाहर के शोर शराबे से बचने के लिए और खुद से मिक्स अप होने के लिए यूज करते हैं।
कैसे नुकसान पहुंचाता है
डॉक्टरों के अनुसार कान के अंदर एक पर्दा होता है जिसे ईयर ड्रम कहते हैं। इसमें तमाम नसें और अंग होते हैं, जो दिमाग से जुड़े होते हैं। जब ईयरफोन या हेडफोन लगाकर हम तेज आवाज सुनते हैं तो उसका कंपन दबाव के साथ ईयर ड्रम से टकराता है और उसे क्षति पहुंचा देता है। इसका तत्काल उपचार नहीं किया गया तो यह स्थायी समस्या बन जाती है और तंत्रिका तंत्र को भी नुकसान पहुंचा देती है। इसके अलावा कान में बार बार मैल जमा होने लगता है जो कि अच्छा लक्षण नही है।
महंगा और अच्छी कंपनी का ब्रांडेड ईयर फोन लगाएं।
एक बार में अधिकतम 20 से 25 मिनट तक लगाएं और 55 फीसदी से अधिक आवाज मत करें।
कान में दर्द हो तो कड़ुआ तेल न डालें और तीली से मत खोदें।
हेड फोन, ईयर फोन से कम नुकसान पहुंचाता है, लेकिन सेफ वह भी नही है।
सड़क पर गाड़ी ड्राइव करते समय ईयर फोन की आवाज कम रखें वरना एक्सीडेंट हो सकता है। गुर्दे की पथरी बहुत कड़ी होती है। उसे एक प्रकार के ध्वनि तरंगों से ही तोड़ा जाता है। इसलिए ध्वनि तरंगें तेजी के साथ जब कान में जाती हैं तो नसों को क्षति पहुंचा देती हैं। कान में मैल भी जमा होने लगती है।
डॉ। राम सिया
ईएनटी स्पेशलिस्ट, एसआरएन अस्पताल
कान में सीधे तेज आवाज जाने से नसों को नुकसान पहुंच रहा है जो दिमाग से सीधे जुड़ी होती हैं। इसकी वजह से माइग्रेन, सिर दर्द व चक्कर आने की समस्याएं बढ़ रही हैं। खासकर युवाओं को जागरुक होना होगा। उनकी ईयर फोन पर निर्भरता बढ़ रही है।
डॉ। एलएस ओझा
ईएनटी स्पेशलिस्ट, ओझा अस्पताल