फायर स्टेशन सिविल लाइंस में मौजूद करोड़ों रुपये की हाइड्रोलिक मशीन कई साल से खराब पड़ी है. यदि यह मशीन ठीक होती तो महाधिवक्ता कार्यालय की बिल्डिंग में लगी आग को बुझाने में इतना वक्त नहीं लगता. आग और पहले बुला ली गई होती तथा होने वाले नुकसान का लगाया जा रहा अनुमान भी कम होता. फाइलें व फर्नीचर भी काफी हद तक बच गए होते. पूरी तरह से हाईटेक और कम्प्यूटराइज यह मशीन को छह साल पूर्व विदेश से मंगाई गई थी. हालात यह हैं कि मशीन खराब हुई तो आज तक इसकी रिपेयरिंग तक नहीं हो सकी.

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। यही वजह है कि रविवार को लगी आग को बुझाने के लिए पॉवर प्लांट से किसी तरह अरेंज की गई हाइड्रोलिक मशीन भी बहुत काम नहीं आ सकी। विभाग की यह हाइड्रोलिक मशीन खराब होने के पीछे प्रशिक्षित चालकों का अभाव बड़ा कारण रहा है।

विदेशी इंजीनियर का है इंतजार
शहर में लगातार बहुमंजिला इमारतें बन रही हैं। इन इमारतों को बनाने वाले ठेकेदारों द्वारा फायर फाइङ्क्षटग सिस्टम बनाने का भी नियम है। इस बात की जांच और एनओसी देने का अधिकारी फायर ब्रिगेड के पास है। फायर ब्रिगेड के अधिकारी जांच के बाद एनओसी देते हैं। इसी के बाद बिल्डिंग को फायर फाइङ्क्षटग के लिहाज से फिट माना जाता है। ऐसी इमारतों में फिर भी आग लगने पर उसे बुझाने को लेकर शासन स्तर पर चिंता व्यक्त की गई। मसौदा तैयार हुआ तो छह साल पूर्व विदेश से पांच करोड़ से भी अधिक की लागत से हाइटेक हाइड्रोलिक मशीन मंगा ली गई। विभागीय जानकार कहते हैं कि इस मशीन की मदद से 42 मीटर ऊंची बिङ्क्षल्डग यानी करीब 13 मंजिल के टॉप पर लगी आग को को आसानी से बुझाई जा सकती है। शहर में लगातार बढ़ती बहुमंजिला इमारतों की संख्या को देखते हुए इस मशीन की काफी उपयोगिता थी। मशीन मंगा कर विभाग को भेज दी गई। मगर पूरी तरह से कम्प्यूटराइज इस हाइड्रोलिक मशीन को चलाने वाला कोई प्रशिक्षित चालक नहीं था। खडे-खड़े मशीन खराब हो गई। इस खराब हाइड्रोलिक मशीन को बनवाने के लिए यहां मुख्य अग्निशमन अधिकारी द्वारा कई दफा लिखा पढ़ी शासन स्तर तक की गई। मगर आज तक इस मशीन को बनाने वाला कोई नहीं आया। क्योंकि जो इंजीनियर इस मशीन को बना सकता है वह भी विदेश से ही आएगी। उसे यहां बुलाने के लिए शासन और सरकार स्तर से पहल करनी होगी।

फर्ज के लिए दर्द भूल गए ये जवान
घायल जवान पोस्टिंग
परमेश यादव फायर स्टेशन सिवि।
अमित यादव फायर स्टेशन सिवि।
नदीमुद्दीन फायर स्टेशन सिवि।
चंदन कुमार फायर स्टेशन सिवि।
जीत नारायण हाईकोर्ट सुरक्षा
दरोगा अभिषेक हाईकोर्ट सुरक्षा
इनका आक्सीजन लेवल हुआ डाउन
भगवान कुमार गौड़ फायर स्टेशन सिवि।
इंद्रजीत यादव फायर स्टेशन सिवि।
शिवमूरत यादव फायर स्टेशन सिवि।
धर्मेंद्र मिश्र फायर स्टेशन सिवि।
निखिल प्रसाद गौड़ फायर स्टेशन सिवि।
विपिन यादव फायर स्टेशन सिवि।
नोट-करीब आधा दर्जन जवान और जख्मी है। उनका नाम पता नहीं चल सका।
कारण जिससे आग बुझाने में लगा वक्त
महाधिवक्ता कार्यालय की बिल्डिंग में लगी आग को बुझाने में इतना वक्त क्यों लगा?
इस सवाल पर अफसरों द्वारा बताया गया कि भवन में फाइलें जमीन पर गलियारे में व सीढ़ी तक पर फैली हुई थीं।
फाल्स सीलिंग ज्वलन शील पदार्थ का बना होने के कारण आग काफी तेजी से फैल रही थी, आगे बढऩे में खतरा था
छह से नौ-वें फ्लोर तक फाइलें व फर्नीचर आदि का काफी ज्यादा मात्रा में होना और उसमें आग का लगा।
बिल्डिंग में वेंटिलेशन का नहीं और ऊपर जाने एवं निकलने का किसी दूसरे रास्ते का नहीं होना ऊंचाई अधिक होना
बिल्डिंग पूरी तरह ग्लास की चादर से कवर्ड होना व बाहर साइड से पानी का फौव्वारा अंदर मारने की जगह न होना

फायर फाइटिंग सिस्टम था खराब
महाधिवक्ता कार्यालय की बिल्डिंग में लगी आग के बाद एक हैरान करने वाली बात सामने आई है। फायर ब्रिगेड के जवानों व कुछ अफसरों की मानें तो बिल्डिंग में लगा फायर फाइटिंग सिस्टम अकार्यशील यानी सही नहीं था। फायर फाइटिंग सिस्टम का बिल्डिंग में सही नहीं होने से आग बुझाने में जवानों को और भी मशक्कत करनी पड़ी। जवानों की मानें तो यदि यह सिस्टम बिल्डिंग में ठीक होता तो इतना वक्त नहीं लगता। वह सायरन भी बिल्डिंग में नहीं बजा जो धुआं या आग लगने पर स्वयं बजने लगता है।

महाधिवक्ता कार्यालय वाली बिङ्क्षल्डग की जांच की गई थी। तब फायर फाइङ्क्षटग के सभी उपकरण सही पाए गए थे। इसी आधार पर उस बिङ्क्षल्डग के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) दी गई थी। खराब हाइड्रोलिक मशीन को भी बनाने के लिए कई दफा लिखा पढ़ी की जा चुकी है। तमाम ऐसी दिक्कतें बिल्डिंग के अंदर सामने थीं जिसकी वजह से आग बुझाने में वक्त लगा।
आरके पांडेय, मुख्य अग्निशमन अधिकारी

Posted By: Inextlive