आज से होगी 'चांद और 'माधुरी पर चर्चा
प्रयागराज (ब्यूरो)। ये दोनों पत्रिकाएँ 1922 से निकलना शुरू हुई थीं। चाँद का प्रकाशन प्रयाग तथा माधुरी का प्रकाशन लखनऊ से होता था। आज़ादी के आंदोलन के दौरान इन पत्रिकाओं ने जनता के बौद्धिक जागरण में उल्लेखनीय भूमिका निभाई थीं।
पत्रिकाओं के योगदान पर भी होगी चर्चासेमिनार की आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रो। प्रणय कृष्ण और संयोजक आशुतोष पार्थेश्वर के अनुसार इस सेमिनार में इन दोनों पत्रिकाओं के साथ-साथ उस दौर की अन्य पत्रिकाओं के योगदान पर भी चर्चा होगी। इस सेमिनार का लक्ष्य पत्रिकाओं के ज़रिये उस दौर के अनेक सेनानियों, लेखकों, बौद्धिकों, संपादकों और पत्रकारों के योगदान से भी परिचित होना है। इस मौके पर सेमिनार में विभिन्न पत्रिकाओं से आज़ादी के संघर्ष से जुड़ी हुईं 75 तस्वीरों की प्रदर्शनी भी लगाईं जाएगी। इस राष्ट्रीय सेमिनार में देशभर से अनेक विद्वान वक्ता एवं शोधार्थी सम्मिलित होंगे।
प्रमुख वक्ताओं में पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर, प्रो। राजेन्द्र कुमार, राजमणि, प्रो। मुश्ताक अली, प्रो। राजकुमार, डॉ। मंगला अनुजा, प्रो। हितेंद्र पटेल, प्रो। रूपा गुप्ता, डॉ। प्रज्ञा पाठक, डॉ। सुनंदा पराशर, श्री प्रभात कुमार, श्री विजय झा आदि हैं। तीन दिनों की यह संगोष्ठी सीनेट हॉल परिसर में स्थित तिलक भवन में आयोजित होगी।