गर्मी में बर्न के मामले बढ़ जाते हैं. मरीजों को समय रहते बेहतर इलाज नहीं मिलता. इससे इनकी जान पर बन आती है. अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि एसआरएन अस्पताल की बर्न यूनिट रेडी होने जा रही है. इस बर्न यूनिट में आईसीयू भी होगा जहां सीरियस पेशेंट्स को रिलैक्स करने का मौका मिलेगा.

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। एसआरएन अस्पताल में वर्तमान में 11 बेड का बर्न वार्ड है। गर्मी के सीजन में बर्न केस बढऩे पर मेडिसिन और जनरल वार्ड मे भर्ती किया जाता है। 26 बेड का नया वार्ड बन जाने के बाद मरीजों को आसानी से भर्ती किया जा सकेगा। 26 बेड के इस वार्ड में दस बेड मेल और दस बेड फीमेल मरीजों के लिए आरक्षित रहेंगे। इसके अलावा छह बेड का बर्न आईसीयू वार्ड बनाया जा रहा है। इसमें बर्न के सीरियस मरीजों को तत्काल भर्ती किया जाएगा। अभी तक कॉमन आईसीयू वार्ड में जगह नही होने पर ऐसे मरीजों को दूसरे शहरों में रेफर किया जाता था। इसके अलावा बर्न केसेज के लिए एक आपरेशन थिएटर बन रहा है, जहां ऐसे मरीजों की स्पेशल सर्जरी की जाएगी। बर्न मरीजों के लिए स्पेशल फिजियोथेरेपी यूनिट भी बनाई जा रही है। इन मरीजों को अब कॉमन सेंटर नहीं जाना होगा।

अधिक है बर्न कैजुअल्टी
डॉक्टर्स का कहना है कि गर्मियों में बर्न से होने वाली कैजुअलिटी अधिक होती हैं। पचास फीसदी से अधिक जले हुए मरीजों को तत्काल इलाज नही मिलता तो वह उनकी जान बचाना आसान नही होता। ऐसे में यह वार्ड एक बड़ी उम्मीद लेकर आया है। प्राइवेट अस्पतालों में भी गिनती के सेंटर्स हैं जहां बर्न केसेज हैंडल किए जाते हैं। बाकी जगहों पर मरीजों को रेफर कर दिया जाता है।

पहले से मिली है थोड़ी राहत
पहले की अपेक्षा में बर्न केसेज थोड़े कम हुए हैं। क्योंकि अब एक्सीडेंट मामले अधिक आ रहे हैं। पूर्व में ग्रामीण एरिया से केरोसिन से जली हुई महिलाएं अधिक आती थींं लेकिन अब केरोसिन नही उपलब्ध होने से ऐसी घटनाएं कम हो गई हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि चेहरा, गर्दन और छाती के इनवाल्व होने से मरीज सीरियस हो जाता है।

राज्य और केंद्र सरकार की मदद से इस वार्ड का निर्माण हो रहा है, जो डेढ़ माह में संचालित कर दिया जाएगा। इसमें छह बेड का आईसीयू और आपरेशन थिएटर है। जिससे मरीजों को अधिक लाभ होगा। फिजियोथेरेपी की भी बड़ी मशीनें मंगाई जा रही हैं।
डॉ। मोहित जैन नोडल बर्न यूनिट, एसआरएन अस्पताल प्रयागराज

Posted By: Inextlive