दिल को झकझोर गयी 'बूढ़ी काकी'
प्रयागराज (ब्यूरो)। मुंशी प्रेमचंद की लिखी कहानियां समाज के उपेक्षित और समय की मार झेलते लोगों की दशा-व्यथा को हमेशा उभारती रही हैं। 'बूढ़ी काकीÓ उनमें एक ऐसी ही कथा है जिसे बुधवार शाम एनसीजेडसीसी (उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र) के प्रेक्षागृह में नौटंकी रूप में प्रस्तुत किया गया। स्वर्ग रंगमंडल की ओर से आयोजित सेलीब्रेङ्क्षटग नौटंकी महोत्सव में लय, ताल, संगीत की स्वरलहरी के बीच कलाकारों के भावपूर्ण अभिनय को देख प्रेक्षागृह में उपस्थित लोगों की आंखें नम हो गईं। नौटंकी मंचन का निर्देशन अतुल यदुवंशी ने किया।
बूढ़ी काकी की व्यथा-कथा ने लोगों के दिल झकझोर दिए। मंचन में दिखाया गया कि बुद्धिराम के बड़े बेटे का तिलक लेकर लड़की पक्ष के लोग आए हैं। भोजन-पकवान में घी और मसाले की सुगंध फैली थी। एक वृद्ध महिला 'बूढ़ी काकीÓ को यह सुगंध बेचैन कर रही थी। पूडिय़ों का स्वाद याद करके उसके मन में लालच आने लगी। मेहमानों ने भोजन कर लिया, घर वालों ने भोजन कर लिया। बाजे-गाजे वाले कर्मचारियों ने भोजन कर लिया। बूढ़ी काकी को किसी ने खाने के लिए नहीं पूछा। देर रात जब उसे भूख लगी तो पत्तलों की जूठन खाने लगी। इस हृदय विदारक ²श्य को देख सभी स्तब्ध रह गए। बूढ़ी काकी की दशा प्रेक्षागृह में उपस्थित लोगों के अंत:करण के तारों को झंकृत करती रही। शिवानी कश्यप ने बूढ़ी काकी की भूमिका निभाई। रंगीली का अभिनय श्रद्धा देशपांडेय, रंगा की भूमिका धीरज अग्रवाल, रूपा की भूमिका में प्रिया मिश्रा, बुद्धिराम के रूप में नीरज अग्रवाल ने अभिनय किया। दिलीप कुमार, गुलशन, मुहम्मद साजिद एवं नगीना ने संगीत प्रस्तुत किया।