बद्रीनाथ मंदिर थीम पर सज रहा पूजा पंडाल मंदिर की भव्यता को दर्शाने के लिए बारीकियों पर काम कर रहे कारीगरमाता के आगमन के पहले दिन आनंद मेला का किया जाएगा आयोजन

प्रयागराज ब्यूरो । चार धामों में एक बद्रीनाथ का जिसने अभी तक केवल नाम ही सुना होगा, ऐसे सभी लोगों को लिए इस बार की कर्नलगंज की दुर्गा पूजा यादगार होगी। भक्तों को आकर्षित व धाम की अनुभूति दिलाने के लिए इस बार कर्नलगंज में बद्रीनाथ की थीम पर पंडाल तैयार किया जा रहा है। इस पंडाल की सजावट बद्रीनाथ मंदिर के वास्तविक रूप को प्रतिबिंबित करेगी। पिछले साल यहां केदारनाथ मंदिर के थीम पर पंडाल बनाया गया था, लेकिन इस बार समिति ने बद्रीनाथ का चयन किया है। पंडाल का डिज़ाइन और सजावट बाहरी और आंतरिक दोनों रूप से बद्रीनाथ मंदिर की शैली को ध्यान में रखकर किया जा रहा है। ताकि यहां आने वाले लोगों को इसकी अनुभूति हो सके।

जानें खासियत
उत्तराखंड के बद्रीनाथ में स्थित भगवान विष्णु को समर्पित बद्रीनाथ मंदिर, हिमालय क्षेत्र के चार पवित्र स्थलों में एक है और इसकी एक अहम धार्मिक मान्यता है। इस साल, इस मंदिर की भव्यता और दिव्यता को दर्शाने के लिए दुर्गा माता का पंडाल कर्नलगंज में तैयार किया जा रहा है। करीब डेढ़ महीने से पंडाल की तैयारी चल रही है, जिसमें हर कारीगर अपनी कला का इस्तेमाल करके इसे खूबसूरत और यथार्थवादी रूप देने में जुटा हुआ है। यहां 12 फीट की माता की प्रतिमा भी स्थापित की जाएगी। पंडाल को तैयार करने के लिए 30 से 40 कुशल कारीगरों की टीम काम कर रही है, जिनमें से अधिकांश कारीगर कोलकाता से आए हैं। पंडाल 7 अक्टूबर को पूरी तरह से तैयार हो जाएगा।
आनंद मेला का होगा आयोजन
माता के आगमन के पहले दिन आनंद मेला का आयोजन भी किया जाएगा, जिसमें 40 से 50 महिलाएं माता के स्वागत में अपने हाथों से बनाए हुए खाद्य पदार्थों के स्टॉल लगाएंगी।
इस साल भी अलग-अलग थीम पर पंडाल बनाने की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, हमारी थीम बद्रीनाथ मंदिर है। हमारी पूरी कोशिश है कि हम इसे ज्यादा से ज्यादा यथार्थवादी बना सकें, ताकि दर्शकों को यह पसंद आए।
- पुलक गांगुली, पूजा पंडाल समिति सचिव

कमेटियों में मची है होड़
शारदीय नवरात्र प्रारंभ होने में अब अधिक समय नहीं बचा है। गुरुवार से दुर्गा पूजा की धूम मच जाएगी। इसके लिए जहां घरों व मंदिरों में तैयारी है, वहीं पूजा समितियां भी अपनी तैयारी में जोर शोर से जुटी हुई हैं। पंडाल आकर्षक हो, भीड़ जुटे, प्रतिस्पर्धा में आगे निकले इसलिए कला को प्राथमिकता दी जा रही है। हालांकि संस्कृति और पूजा की परंपरा बनी रहे इसका भी ध्यान रखा जा रहा है।

Posted By: Inextlive