एक करोड़ में भी ठंडा है अन्नपूर्णा रसोई का चूल्हा
प्रयागराज ब्यूरो । बजट होने के बावजूद आज तक अन्नपूर्णा की रसोई का चूल्हा नहीं धधक सका। जबकि इस रसोई को संचालित करने के लिए भवन तक का निर्माण कराया गया था। करीब तीन वर्ष पूर्व बनाई गई यह योजना फाइलों से बाहर नहीं आ पा रही है। सपना दिखाकर तोडऩे में माहिर नगर निगम के अफसर लोगों के एक और ख्वाब को तोड़ दिया है। यहां दस रुपये में भरपेट भोजन दिए जाने की मंशा थी। यह प्लान धरातल पर उतारने में विफल अफसर अब शक्ति रसोई का संचालन कराने में जुटे हैं। जहां मिलने वाला खाना सौ रुपये के आसपास है।समिति के सदस्यों ने उठाया सवाल
शहर में रहने वाले गरीब तबके के लोगों को दस रुपये में भरपेट खाना खिलाने की योजना बनाई गई तीन साल पूर्व बनाई गई थी। इस स्कीम का नाम अन्नपूर्णा रसोई रखा गया था। अन्नपूर्णा रसोई के लिए नवाब यूसुफ रोड साइड नगर निगम परिसर में ही किचन का निर्माण कराया गया। इस रसोई की बिल्डिंग को बनाने में नगर निगम के द्वारा 20 लाख रुपये खर्च किए गए थे। यह रसोई यानी कैंटीन इतना बड़ा है कि हर रोज 300 से 400 लोगों को बैठका कर भोजन कराया जा सके। प्लान था कि यहां पर आने वाले हर पबके के लोगों के लिए हर रोज खाने का मेन्यू अलग-अलग होगा। इस रसोई को चलाने में आने वाले खर्च का इंतजाम भी नगर निगम के बजट में ही किया गया। रसोई को रन कराने के लिए हर साल नगर निगम के मूल बजट में एक करोड़ रुपये के बजट का आज भी आवंटित होता है। बावजूद इसके अब तक जनोपयोगी यह योजना फाइलों से बाहर नहीं निकल सकी। जबकि मूल बजट में एक करोड़ रुपये का प्राविधान किया जाता है। गुरुवार को हुई नगर निगम कार्यकारिणी समिति की बैठक में आगामी वित्तीय वर्ष 2024-2025 का मूल बजट पास हुआ। गौर करने वाली बात यह है कि इस मूल बजट में एक बार फिर अन्नपूर्णा रसोई को संचालित करने के लिए एक करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। दबी जुबान समिति के सदस्य बाते हैं कि वर्ष 2023 और 2024 के मूल बजट में भी अन्नपूर्णा रसोई के लिए इस बजट को निर्धारित किया गया था। अब सवाल यह उठता है कि जब अन्नपूर्णा रसोई संचालित ही नहीं हो रही तो बजट किस लिए निर्धारित किया जाता है। बैठक में समिति के कुछ सदस्यों द्वारा इस मुद्दे पर सवाल खड़ा किया गया तो अफसर बंगले झांकने लगे। सदस्यों ने कहा कि जब बजट हर साल तय किया जाता है तो लोगों को उसका लाभ नहीं मिल रहा है। बताते हैं कि सदस्यों द्वारा उठाए गए इस सवाल पर चीफ इंजीनियर सतीश कुमार का जवाब था कि सदन की बैठक में इस बजट का कैंसिल करने का प्रस्ताव रखा जाएगा। फिर सदन के सदस्य जो फैसला लेंगे उसी के अनुसार आगे काम किया जाएगा।
इससे सस्ता तो बाहर मिलता है खानावर्ष 2021 में तैयार की गई अन्नपूर्णा योजना तो दम तोड़ ही चुकी है। इसे संचालित करने के लिए बनाए गए भवन में अब शक्ति रसोई का संचालित कराया जा रहा है। महिला समूहों के जरिए संचालित इस शक्ति रसोई में एक प्लेट खाने का रेट 90 रुपये लोगों को देने पड़ रहे हैं। जबकि बाहर ठेले पर तमाम व्यापारी 40 से 50 रुपये प्लेट खाना आराम से लोगों को सलाद और अचार के साथ उपलब्ध करा रहे हैं।इतना ही नहीं इस शक्ति रसोई में खाने के लिए जो 90 रुपये देगा वह 30 से 40 रुपये और लगाकर किसी अच्छे रेस्टोरेंट में लजीज खाने का लुत्फ उठा सकता है।