भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-केंद्रीय अंतरस्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान सिफरी ने संगम में विलुप्त हो रहे मत्स्य प्रजातियों के संरक्षण व संवर्धन के लिए गंगा नदी में 30000 तीस हजार भारतीय प्रमुख कार्प-कतला रोहू मृगल मछलियों के अंगुलिका बीज को छोड़ा. संस्थान के केंद्राध्यक्ष डा. डीएन झा ने जैव संरक्षण पर जोर दिया. संस्थान के निदेशक डा बसंत कुमार दास ने नमामि गंगे परियोजना के बारे में बताया.


प्रयागराज (ब्यूरो)। मुख्य अतिथि डा कृष्ण जेना, उपमहानिदेशक (मात्स्यिकी), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली नेे रैंचिंग के महत्व तथा मछुआरों के आजीविका बढ़ाने के उपायों को बताया। मछुआरों को जाल भी वितरित किया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि कविता त्रिपाठी (समाज सेविका) ने भाग लिया। उन्होंने संस्थान द्वारा प्रकाशित पुस्तिकाओं का विमोचन किया। इस मौके पर नमामि गंगे के संयोजक गंगा विचार मंच (राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन) एवं नगर गंगा समिति प्रयागराज के सदस्य राजेश शर्मा ने गंगा को स्वच्छ रखने के लिए सभी को शपथ दिलाई। कार्यक्रम में नमामि गंगे (गंगा विचार मंच),भारतीय वन्यजीव संस्थान, गंगा प्रहरी, नगर गंगा समिति, मां गंगा सेवा समिति, तीर्थयात्री,आस-पास गाव के मत्स्य पालक, मत्स्य व्यवसायी तथा गंगा तट पर रहने वाले स्थानीय लोगों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम के अंत में संस्थान के वैज्ञानिक डा अबसार आलम ने धन्यवाद दिया। संस्थान के वैज्ञानिक डा। वेंकटेश ठाकुर भी मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive