वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे : दस में से चार को ही मिल पाता है मानसिक उपचार
आगरा(ब्यूरो)। परिणाम हुआ कि युवक ने अपनी पढ़ाई छोड़ दी। डर और भय के कारण मानसिक चिकित्सक को भी नहीं दिखाया। सभी ने मान लिया कि युवक पर कोई ऊपर का चक्कर है। पांच साल तक स्थिति यही रही। पांच साल बाद युवक के दोस्त ने पहल करके मानसिक चिकित्सक को दिखाया। यहां पर उसकी डायग्नोसिस हुई तो उसे ओसीडी( ऑब्सेसिव कंपल्शन डिसऑर्डर) की समस्या सामने आई। डॉक्टर ने ट्रीटमेंट दिया। काउंसलिंग थेरेपी दी गई। युवक छह माह में ठीक हो गया। अब दोबारा से युवक ने अपनी स्टडी को शुरू कर दिया है।
थीम मेंटल हेल्थ इज अ यूनिवर्सल ह्यूमन राइट रखी गई हैयह उदाहरण मात्र है। जानकारी के अभाव में आज भी कई लोगों को मानसिक रोग होने पर उपचार नहीं मिल पाता है। इस कारण कई फैमिलीज बर्बाद हो जाती हैैं। एसएन मेडिकल कॉलेज के मनोरोग विभाग के एचओडी डॉ। विशाल सिन्हा ने बताया कि आज भी मानसिक रोग होने पर दस में से चार लोगों को ही मानसिक उपचार मिल पाता है। उन्होंने बताया कि पहले मानसिक रोगों का आज की अपेक्षा उपचार उपलब्ध नहीं था। इस कारण मनोरोग को दैवीय प्रकोप या कर्मों का फल माना जाता था। ऐसे में मनोरोग होने को समाज से अलग कर दिया जाता था लेकिन अब इसका उपचार उपलब्ध है। कई तरह की नई दवाएं और तकनीक आ गई हैैं जिनके जरिए विभिन्न मनोरोगों को पहचानकर इनका उपचार किया जा सकता है। समाज में अभी भी मानसिक रोगों के प्रति जागरुकता की जरूरत है। उन्होंने बताया कि हर साल दस अक्टूबर को वल्र्ड मेंटल हेल्थ डे मनाया जाता है। इस बार इसकी थीम मेंटल हेल्थ इज अ यूनिवर्सल ह्यूमन राइट रखी गई है।
लक्षण पहचानकर डॉक्टर से लें सलाहडॉ। विशाल सिन्हा ने बताया कि जैसे बुखार, खांसी, जुकाम, मलेरिया, टाइफाइड जैसे रोगों का उपचार किया जा सकता है, ठीक उसी तरह से मनोरोगों का भी उपचार किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि यदि किसी को एकाग्रता में कमी, गुस्सा आना या चिड़चिड़ापन होना, काम में मन न लगना, सेड फील करने जैसे लक्षण लंबे समय तक या बार-बार आएं या फिर अपने रेग्यूलर वर्क में आनंद प्राप्त न हो तो मनोरोग विशेषज्ञ से अवश्य सलाह लें। विशेषज्ञ मर्ज पहचानकर बता सकते हैैं कि यह मनोरोग है या नहीं। मनोरोग होने पर इसका उपचार किया जाएगा।
कोविड के बाद में बढ़ रहा अतिरिक्त तनाव
डॉ। विशाल ने बताया कि कोविड आने के बाद में लोगों पर मानसिक तनाव बढ़ा है। इसके कई कारण हो सकते हैैं। परिस्थितियों में बदलाव होना। व्यापार में कमी आना, अपेक्षाएं बढऩा या फिर कोविड के कारण कोई और बदलाव होना। वहीं, जिला अस्पताल की क्लीनिकल मनोवैज्ञानिक ममता यादव बताती हैैं कि कम उम्र के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। रोजाना ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि आगरा में मानसिक चिकित्सालय और एसएन मेडिकल कॉलेज में विभाग होने के बाद भी जिला अस्पताल की ओपीडी में हर माह 1200 मनोरोगियों को उपचार दिया जाता है। उन्होंने बताया कि स्टूडेंट्स की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। उन्होंने बताया कि स्टूडेंट्स पर सक्सेज होने का दबाव होने के चलते दवाब बढ़ रहा है। ऐसे कई केसेज सामने आए हैैं।
ममता यादव ने बताया कि भारत सरकार द्वारा मानस हेल्पलाइन सेवा शुरू की गई है। इसके तहत 24 घंटे 14416 पर कॉल करके मुफ्त सलाह ली जा सकती है। आगरा में इसका केंद्र बनाया गया है। उन्होंने बताया कि इस हेल्पलाइन नंबर पर कोई भी कॉल करके सलाह ले सकता है। उन्होंने बताया कि इसमें आपकी पहचान को छिपाकर रखा जाएगा। इससे सुसाइड आदि को रोका जा सकेगा।
बुखार, खांसी-जुकाम जैसे रोगों की तरह ही मानसिक रोगों का भी उपचार हो सकता है। जागरुकता के अभाव में अभी भी दस में से चार लोगों को ही उपचार मिल पाता है। इसमें से भी दो ही लोग अपना इलाज पूरा कर पाते हैैं।
- डॉ। विशाल सिन्हा, एचओडी, मनोरोग विभाग, एसएनएमसी
- ममता यादव, नैदानिक मनोवैज्ञानिक, जिला अस्पताल यह लक्षण होने पर डॉक्टर से करें संपर्क
काम में मन न लगना, एकाग्रता में कमी होना
बार-बार चीजों को रखकर भूल जाना
दुखी फील करना
अकेलापन फील करना
दोस्तों व फैमिली के साथ मन न लगना
गुस्सा व चिड़चिड़ापन महसूस होना
रोने का मन करना
रात में नींद न आना