विश्व रक्तदान दिवस : कदम बढ़ते गए, कारवां बनता गया
आगरा(ब्यूरो)। आगरा में पहली चैरिटेबल ब्लड बैैंक की शुरूआत करने वाले समर्पण समिति के सदस्यों में से एक बृजमोहन अग्रवाल बताते हैैं कि 90 के दशक में लोग ब्लड डोनेशन के बारे में इतने जागरुक नहीं थे। शहर में स्वच्छ ब्लड मिलना भी मुश्किल था। एक बार हमारे फ्रेंड को ब्लड की जरूरत पड़ी। इसे पाने में मुश्किल हुई।
तभी से समर्पण समिति के सदस्यों ने ठान लिया था कि शहर में ब्लड बैैंक की शुरूआत करनी है। इसके बाद में हमने शुरूआत में ब्लड की जरूरत पडऩे वाले लोगों की मदद करना शुरू किया और समाज के लोगों को ब्लड डोनेट करने के लिए प्रेरित करना शुरू किया। जब किसी को ब्लड की जरूरत होती थी तब हम डोनर को स्कूटर से ब्लड डोनेट कराने के लिए ले जाते थे। समर्पण समिति पहले से ही होम्योपैथिक दवाखाना चला रही थी। इसके बाद समिति के सदस्यों ने मिलकर दिल्ली गेट पर जमीन खरीदी और सामाजिक अनुदान की मदद से 1996 में ब्लड बैैंक की शुरूआत की। 2004 में हमने होल ब्लड कंपोनेंट का लाइसेंस लिया और प्लेटलेट और एफएफपी बनाना शुरू किया। जंबो पैक के लिए दिल्ली तक जाना पड़ता था। लेकिन समर्पण ब्लड बैैंक के द्वारा इसे शुरू किया गया। गुणवत्ता के चलते डॉक्टरों ने भी समर्पण ब्लड बैैंक का ब्लड और कंपोनेंट लिखना शुरू कर दिया। इसके कारण शहर में समर्पण ब्लड बैैंक की अलग पहचान बन गई। ब्लड बैैंक द्वारा 120 थैलेसीमिया पेशेंट्स को गोद लिया हुआ है। जिन्हें बिना किसी शुल्क के हर माह ब्लड प्रोवाइड कराते हैैं। इसके साथ ही कैंसर जैसे गंभीर मरीजों को बिना एक्सचेंज के ब्लड उपलब्ध कराया जाता है।
हर मुश्किल घड़ी में की लोगों की मदद
ब्लड डोनेट करने के लिए जागरुक करने वाली संस्था प्रारंभ के फाउंडर अंकुर शंकर गौतम बताते हैैं कि 2008 में उनके दोस्त को ब्लड उपलब्ध न हो पाने के कारण डेथ हो गई थी। तभी से उन्होंने खुद ब्लड डोनेट करना शुरू कर दिया। इसके साथ ही अपने अन्य दोस्तों को भी ब्लड डोनेट करने के लिए प्रेरित करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे कारवां बढ़ता गया तो प्रारंभ संस्था का गठन किया। अंकुर ने बताया कि प्रारंभ संस्था के तहत हम विभिन्न ब्लड डोनेशन कैंप ऑर्गेनाइज करते हैैं। इसके साथ ही मुश्किल वक्त में जरूरतमंदों को अपने ग्रुप के सदस्यों द्वारा ब्लड डोनेट करके ब्लड उपलब्ध कराते हैैं। अंकुर ने बताया कि डेंगू आउटब्रेक में लोगों को जंबो पैक उपलब्ध कराया। इसके साथ ही कोरोना के मुश्किल वक्त में लोगों तक ऑक्सीजन सिलिंडर पहुंचाए। इसके साथ ही कोविड मरीजों को प्लाज्मा भी डोनेट कराया। अंकुर ने बताया कि अब लोगों में ब्लड डोनेट करने को लेकर जागरुकता बढ़ रही है। सभी लोगों को साल में दो बार ब्लड डोनेट अवश्य करना चाहिए।
- प्रो। एसपी सिंह बघेल, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री 90 के दशक में लोग ब्लड डोनेट करने के प्रति जागरुक नहीं थे। आज लोग ब्लड डोनेट करने के लिए आगे आते हैैं। समाज में ब्लड डोनेशन को लेकर जागरुकता बढ़ रही है।
- बृजमोहन अग्रवाल, डायरेक्टर, समर्पण ब्लड बैैंक
जो लोग ब्लड डोनेट कर सकते हैैं वह साल में दो बार ब्लड डोनेट अवश्य करें। तो ब्लड की कोई कमी नहीं होगी। रक्तदान महादान है। रक्त को खरीदा नहीं जा सकता है।
- अंकुर शंकर गौतम, फाउंडर, प्रारंभ फाउंडेशन
यह हैैं ब्लड डोनेट करने के नियम
- 18 से 65 साल के लोग ब्लड डोनेट कर सकते हैं
-ब्लड डोनर का हीमोग्लोबिन 12.5 और चाहिए और वजन 45 किग्रा से ज्यादा होना चाहिए
-ब्लड डोनेट करने से पहले डोनर की जांच की जाती है उसके बाद ही ब्लड डोनेट करने की अनुमति दी जाती है
-आप हर तीन महीने पर ब्लड को डोनेट कर सकते हैं