सशक्तिकरण सिर्फ डिग्री के साथ ही नहीं होता है अगर महिलाएं इंफॉर्म परसेप्टिव अपनाती हैं तो समाज में मुख्य रोल निभा सकती हैं. वह अपने गांव के साथ देश की ग्रोथ में भी मदद कर सकती हैं. पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं बैलेंस्ड डेवलपमेंट ला सकती हैं.


आगरा(ब्यूरो)।दैनिक जागरण आईनेक्स्ट से फोन पर बातचीत करते हुए पहली एमबीए पूर्व सरपंच और मोटिवेशनल स्पीकर छवि राजावत ने कहा कि महिलाएं एक बार ठान लें तो उनके लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं है। महिलाएं खुद की शक्ति को पहचानें और अपने लक्ष्य को हासिल करें। छवि ताजनगरी में आयोजित जी-20 डेलीगेशन की मीटिंग में वुमेन एंपावरमेंट पर आवाज बुलंद करते हुए देश और दुनिया को संदेश देंगी।

जी-20 डेलीगेशन में पार्टिसिपेशन
छवि राजावत कहतीं हैं कि सशक्तिकरण इंडिविजुअल ग्रोथ से जुड़ा होता है। सिर्फ बच्ची और महिलाओं के लिए ही नहीं, बल्कि पुरुष वर्ग में भी सशक्तिकरण होता है। बचपन से ही उनकी ग्रोथ होती है। महिला के सशक्त होने से आधी आबादी में जहां अवेयरनेस आएगी, वहीं समाज में बनी उनके खिलाफ जो कुरीतियां हैं वह भी दूर होंगी। एक रिसर्च के मुताबिक पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं का डेवलपमेंट दृष्टिकोण अधिक बैलेंस्ड होता है। पुरुष जहां इंफ्रास्ट्रक्चर बेस्ड डेवलपमेंट रखते हैं, वहीं महिलाएं इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ अन्य समाज से जुड़ी दूसरी चीजों के बारे में भी सोचती हैं। अगर आज समाज में भी देखा जाए तो ग्रामीण क्षेत्रों में महिला आज भी घर के साथ बाहर के काम भी संभालती है। यही कारण है कि उसकी उपस्थिति मनरेगा योजना में भी दर्ज है। यही कारण है कि वह बैलेंस्ड डिसिजन ले सकती है। जी-20 डेलीगेशन में पार्टिसिपेशन का अवसर मिलना मेरे के लिए काफी गवपूर्ण है। छवि का कहना है कि जी-20 में देश का प्रतिनिधित्व करना मेरे लिए प्राउड का मुमेंट है।

अपनी शक्ति को पहचानें महिलाएं
छवि राजावत कहती हैं कि गल्र्स को शिक्षा ग्रहण करने के साथ सपने देखने चाहिए। महिला खुद को सशक्त करे और खुशियां बांटे। उन्होंने कहा कि जिस तरह पृथ्वी की धुरी होती है। धुरी न हो तो पृथ्वी का बैलेंस बिगड़ जाएगा। इसी तरह परिवार में महिला एक धुरी के समान होती हैं। वह अपनी क्षमता को पहचानें। प्रकृति ने ये गुण हमें दिया है। लोग क्या बोल रहे हैं ये न सुनें। अपने लक्ष्य पर फोकस करें। हम सब में वो क्षमता और शक्ति है, जो एक बार डिसाइड कर ले तो कुछ नामुमकिन नहीं है। बस लाइफ में पर्सनल और प्रोफेशन ग्रोथ में बैलेंस रखें।

बदल दी गांव की सूरत
जयुपर से 60 किलोमीटर दूर टोंक जिला है। जिसमें एक गांव सोड़ा आज दुनियाभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसके पीछे यहां 10 वर्ष में हुए विकास कार्य है। वर्ष 2009 में यहां भीषण अकाल पड़ा था। पशुओं की मौत हो गई थी। वर्ष 2010 में ग्रामीणों की मांग पर सरपंच बनीं गांव की बेटी ने गांव की सूरत बदल दी। जो सोड़ा गांव बदहाली का शिकार था, आज मॉडल विलेज के रूप में देश-विदेश में चर्चा का विषय है। इस असंभव कार्य को मुमकिन करने वालीं छवि राजावत ने बताया कि वर्ष 2010 में ग्रामीण उनके पास प्रस्ताव लेकर आए। अकाल के बाद गांव में हालात चुनौतीपूर्ण थे। गांव की बेटी होने के नाते मैंने इसे अपना कर्तव्य समझा। गांव में पानी की सबसे बड़ी समस्या थी। अंडरग्राउंड वॉटर की हालत ये थी कि इसको सिंचाई में भी यूज नहीं किया जा सकता था। ऐसे में शुरू में ही छवि ने खुद, पेरेंट्स और फादर के तीन फ्रेंड की मदद से करीब 20 लाख रुपए का फंड जुटा लिया। इससे तालाब की खोदाई कराई। बारिश में तालाब लबालब भर गया। आज गांव में पानी की किल्लत पूरी तरह से दूर हो चुकी है। वहीं गांव में सेनेटाइजेशन और अन्य सामाजिक विषयों पर भी अभियान चलाया गया। वर्ष 2010 में जहां गांव की सरपंच की सीट महिला के लिए रिजर्व थी। वहीं 2015 में जनरल कोटे में थी। 10 वर्ष के कार्यकाल में उन्होंने सोड़ा गांव की सूरत बदल दी। वर्ष 2020 में चुनाव नहीं लडऩे का निर्णय लिया, जिससे अन्य को मौका मिल सके।

Posted By: Inextlive