गऱ बुजुर्गों के डर नहीं होते हम कभी बा-हुनर नहीं होते. हम नयों का वजूद क्या होता ये पुराने अगर नहीं होते. जब इन पंक्तियों के साथ मशहूर कवियत्री ममता शर्मा ने रामलाल वृद्धाश्रम में अपना काव्य पाठ किया. मौका था दिल्ली की संस्था श्री साहित्य सरगम और आगरा की आराधना संस्था द्वारा आयोजित अनूठे कवि सम्मेलन का जो कि निराश्रित वृद्धजनों के जीवन में उल्लास भरने के उद्देश्य से किया गया.


आगरा। कभी बुजुर्ग अपने इस एकाकी जीवन को रचनाओं में महसूस करते हुए भावुक हो जाते कभी हास्य रचनाओं पर ठहाके लगाते। सभी कुछ अद्भुत था और तालियों की गूंज में कवियों ने भी जमकर अपनी कविताओं का वाचन किया। इस कवि सम्मेलन का शुभारंभ जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव मुक्ता त्यागी ने दीप प्रज्वलित करके किया। कवि डॉ नितिन मिश्रा ने भगवान राम पर कविता पढ़ी कि - जिनके नाम लेने से सुखद सब काम होते हैं, वह केवल मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम होते हैं। कवि शशांक प्रभाकर ने पढ़ा कि- इन बुजुर्गों से है मेरा घर मंदिर सा, ये वो दीपक हैं जो बुझ बुझ कर जला करते हैं।


दिल्ली के कवि सुनहरी लाल तुरंत ने अपनी हास्य कविताओं से लोगों के चेहरे पर हंसी बिखेरी कि - कोई रोता है तो रोता रहे जलन लेकर, हम जहन्नुम में भी जन्नत का मजा लेते हैं। अतिथियों का स्वागत संस्था उपाध्यक्ष संजय बैजल, मधु गुप्ता, विनय शर्मा, नागेंद्र सेंगर, पंकज शर्मा, दीपिका दीक्षित, शबनम शर्मा मीडिया प्रभारी धीरज चौधरी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन श्री रामलाल वृद्धाश्रम के अध्य्क्ष शिव प्रसाद शर्मा ने किया।

Posted By: Inextlive