साइबर क्रिमिनल्स ठगी के नए-नए पैंतरे अपना रहे हैं लगातार सामने आ रहीं ठगी की घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस अधिकारी पुलिसकर्मियों को ट्रेंड किया गया है ताकि वह पीडि़त की समस्या को सॉल्व कर सकें. इसी क्रम में हर थाने में साइबर हेल्प डेस्क खोलने का निर्णय लिया गया है इससे आमजन को अवेयर करने के साथ उनकी प्रॉब्लम्स को सॉल्व किया जा सके साथी समय रहते उनकी खातों से निकली रकम को वापस रिकवर किया जा सके.

आगरा। प्रोजेक्ट साइबर साथी के तहत एक जून वर्ष 2021 से ऑनलाइन साइबर ट्रेनिंग शुरू की गई थी, जो तीस जून तक चली थी। इस ट्रेनिंग में साइबर अवेयरनेस से जुड़े अलग-अलग सब्जेक्ट्स के कुल 12 सेशन ऑर्गनाइज्ड किए गए थे। इसमें आगरा जोन (आठ जिलों) के 824 पुलिसकर्मियों ने पाॢटसिपेट किया था। ट्रेनिंग के लिए हर थाने पर तैनात 2-2 महिला हेल्पडेस्क ऑफिसर, विभिन्न थानों में तैनात इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर, आरक्षी व मुख्य आरक्षी को शामिल किया गया था।


तेजी से बढ़ रहा साइबर क्राइम
साइबर शातिर नए-नए पैंतरों से आम लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं। अधिकतर मामलों में यूजर्स साइबर क्राइम को लेकर अवेयर नहीं होते। इसी का साइबर क्रिमिनल्स फायदा उठाते हैं और उन्हें अपना शिकार बना लेते हैं। इससे साइबर सेल और साइबर थाने पर लगातार शिकायत पहुंचने से दबाव पड़ रहा था। ये जहां एक ओर साइबर क्राइम से निपटने के लिए पुलिसकॢमयों को तैयार करेगा, वहीं आम लोगों को भी इस तरह के क्राइम से बचने के लिए अवेयर करेगा।


इस तरह दर्ज होगी कंप्लेन
सभी थानों में महिला हेल्पडेस्क बनी हुई हैं। यहां महिला हेल्पडेस्क ऑफिसर तैनात रहती हैं। अब इन्हें साइबर ट्रेनिंग दी जा रही है। अब कोई भी पीडि़त थाने पहुंचेगा तो उसे साइबर क्राइम से जुड़ा अपना शिकायत पत्र महिला हेल्प डेस्क ऑफिसर को देना होगा। महिला हेल्पडेस्क ऑफिसर पीडि़त की शिकायत पर कार्रवाई करेंगी। इससे पीडि़त का जो भी नुकसान हुआ है, उसे वापस मिल सके।

एक जून से प्रस्तावित योजना
एक जून से इस व्यवस्था को शुरू किया जा रहा है। इसके बाद अपने थानों में तैनात पुलिसकर्मी साइबर क्राइम से जुड़े मामलों पर एक्शन ले सकेंगे।


पुलिस अधिकारी कर सकेंगे जांच
आईटी एक्ट सेक्शन 78 के अनुसार साइबर क्राइम से जुड़े मामलों की जांच इंस्पेक्टर रैंक या उससे ऊपर की रैंक का अधिकारी कर सकता है लेकिन, पुलिस डिपार्टमेंट की संख्या सीमित है। ऐसे में टीम को तैयार किया जा रहा है, जो इंस्पेक्टर्स की मदद कर सकें। एसएसपी सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि साइबर क्राइम से जुड़े मामलों की इंवेस्टीगेशन इंस्पेक्टर्स ही कर सकते हैं लेकिन इनको असिस्ट करने के लिए पूरी एक टीम तैयार की जा रही है। इससे साइबर क्राइम से जुड़े मामलों में तेजी लाई जा सके।

इन टॉपिक्स मिली ट्रैनिंग
-इंट्रोडक्शन टू साइबर क्राइम
-बेसिक्स ऑफ वेबसाइट
-फाइनेंशियल फ्र ॉड
-सीडीआर, आईपीडीआर एनालिसिस
-ओएसआईएनटी इंवेस्टीगेशन 1
-कलेक्शन एंड प्रिजर्वेशन ऑफ एविडेंस इन सोशल मीडिया क्राइम्स
-फाइनेंशियल फ्र ॉड
-इंट्रोडक्शन टू रैंसोमवेयर, वीओआईपी, क्रिप्टोकरेंसी क्राइम्स इंवेस्टीगेशन
-ओएसआईएनटी इंवेस्टीगेशन 2
-इवैल्युएशन एंड रिवीजन

इनको किया गया है ट्रेंड
- महिला हेल्प डेस्क ऑफिसर 340
- इंस्पेक्टर 100
- सब इंस्पेक्टर 310
- कांस्टेबल, एचसीपी 74


पुलिसकॢमयों को ऑनलाइन साइबर ट्रेनिंग दी गई है। इसमें कंस्टेबल से लेकर इंस्पेक्टर्स तक शामिल हैं। ट्रेनिंग के बाद ये पुलिसकर्मी अपने थानों में साइबर क्राइम के पीडि़तों की समस्या सॉल्व करेंगे। साथ खातों से निकली रकम भी रिकवर करने में हेल्प कर सकेंगे।
- सुधीर कुमार सिंह, एसएसपी

Posted By: Inextlive