आगरा. ब्यूरो किसी मेडिकल इमरजेंसी इमरजेंसी में अगर आप हॉस्पिटल जाने के लिए एंबुलेंस को कॉल कर रहे हैं तो अलर्ट रहें. ये एंबुलेंस अस्पताल की जगह शमशान पहुंचा सकती हैं. आपको ये अजीब लगे लेकिन शहर में दौड़ रहीं एंबुलेंस की यही हकीकत है. 145 एंबुलेंस अनफिट ही सड़क पर दौड़ रहीं हैं. हाल के महीनों में एंबुलेंस में दो घटनाएं भी हो चुकी हैं. एक में ऑक्सीजन सिलेंडर फट गया ड्राइवर की मौके पर ही मौत हो गई जबकि दूसरी एंबुलेंस में अचानक से आग की लपटें उठीं. गंभीर हालत में मरीज को फुटपाथ पर रखा गया था.

शहर में एबुलेंस की स्थिति

रजिस्टर्ड एंबुलेंस
497

स्वास्थ्य विभाग की एंबुलेंस
83

स्वास्थ्य विभाग की अनफिट एंबुलेंस
25

शहर में दौड़ रहीं अनफिट एंबुलेंस
145

फिटनेस को पहुंची एंबुलेंस मिलीं अनफिट
आरटीओ कार्यालय में 497 सरकारी और गैर सरकारी एंबुलेंस रजिस्टर्ड हैं। जिनमें से लगभग 145 ने फिटनेस नहीं कराई है। फिटनेस कराए जाने के लिए इन्हें नोटिस दिया गया है। वहीं जो सरकारी 102 नंबर की एंबुलेंस हैं, उनमें अधिकांश अनफिट हो रही हैं। उनके टायर चलने योग्य नहीं हैं। लाइट से लेकर इंडीकेटर, बैटरी, बॉडी खराब हैं। मंगलवार को फिटनेस कराए जाने के लिए पहुंची दो एंबुलेंस यूपी 80 ईजी 0305 व 0308 अनफिट पाई गईं। आरआई उमेश कटियार ने ऐसी सभी एंबुलेंस की फिटनेस कराए जाने के लिए निर्देश दिए हैं। 102 नंबर की कुल 83 एंबुलेंस हैं, जिनमें से 25 की फिटनेस अभी तक नहीं हो सकी है। इनमें से चार की फीस नहीं कट पा रही है। 21 ने अभी तक फिटनेस नहीं कराई है। स्वास्थ्य विभाग की यह लापरवाही किसी भी बीमार व्यक्ति पर भारी पड़ सकती है।


समय पर फिटनेस नहीं कराई गई तो, ऐसे वाहनों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। जिन्होंने अभी तक फिटनेस नहीं कराई है, उन्हें नोटिस दिया गया है।
कपिलदेव, आरटीओ प्रवर्तन

मरीजों की जिंदगी से इस तरह खिलवाड़ रुकना चाहिए। एंबुलेंस किसी की भी हो, सभी की जांच होनी चाहिए। बिना मानकों के इस तरह सड़क पर एंबुलेंस नहीं दौडऩी चाहिए।
जगबीर सिंह, पीआरओ, हेल्प आगरा


राजस्थान की खटारा एंबुलेंस शहर की सड़कों पर दौड़ रहीं हैं। इसको लेकर मैंने कई बार आवाज उठाई है। अधिकारियों से कार्रवाई की मांग की है। कार्रवाई के दौरान कुछ दिन खटारा एंबुलेंस गायब हो जाती हैं। कुछ दिन बाद फिर से खटारा एंबुलेंस पुराने ढर्रे पर लौट आती हैं।
रवि सिसोदिया, प्रदेश अध्यक्ष, ऑल यूपी एंबुलेंस ऑपरेटर वेलफेयर एसोसिएशन


ड्राइवर की हुई थी मौके पर मौत
चार मई को हाईवे पर भगवान टॉकीज के पास हॉस्पिटल पर खड़ी एंबुलेंस में ब्लास्ट हुआ था। बाद में पता लगा कि ब्लास्ट ऑक्सीजन सिलेंडर में हुआ। ड्राइवर की मौके पर ही मौत हो गई थी।

गंभीर मरीज फुटपाथ पर रखना पड़ा था
10 मई को मरीज को लेकर एक एंबुलेंस एमजी रोड से गुजर रही थी। नगर निगम के पास अचानक से एंबुलेंस से लपटें उठने लगीं। आननफानन में राहगीरों की मदद से मरीज को स्ट्रेचर के साथ ही फुटपाथ पर रखा गया। किसी तरह एंबुलेंस की आग बुझाई जा सकी। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने जब एंबुलेंस के नंबर के आधार पर पड़ताल की तो इसकी फिटनेस नहीं हुई थी।

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कई तरह की होती हैं एंबुलेंस
साधारण एंबुलेंस: अगर अस्पताल किसी सामान्य चेकअप के लिए जा रहे हैं, तो आप साधारण एंबुलेंस का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें कोई भी सुविधा नहीं होती है। अगर आपका ऑक्सीजन लेवल कम है और आपके पास खुद का ऑक्सीजन सिलेंडर है, तो इन परिस्थितियों में भी आप इस एंबुलेंस का इस्तेमाल कर सकते हैं।
ऑक्सीजन एंबुलेंस: जिने मरीजों का ऑक्सीजन लेवल संक्रमण की वजह से कम हो गया है या जिन्हें सांस लेने के लिए तकलीफ हो रही है, उनके लिए ये ऑक्सीजन एंबुलेंस का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इसमें मरीजों के लिए ऑक्सीजन की पर्याप्त सुविधा और एक मेडिकल स्टाफ मौजूद होता है।
एडवांस एंबुलेंस: कोरोना काल में इस प्रकार की एंबुलेंस की मांग काफी बढ़ गई है। यह कोई साधारण एंबुलेंस नहीं है। इसमें एडवांस मेडिकल संसाधान जैसे ऑक्सीजन, वेंटिलेटर आदि मौजूद रहते हैं। इनकी मदद से गंभीर मरीजों का रास्ते में ही इलाज शुरू हो जाता है।
मॉर्चरी एंबुलेंस: मृतकों के शवों को शमशान घाट या घर ले जाने के लिए इस एंबुलेंस का इस्तेमाल किया जाता है।
न्यूनेटल एंबुलेंस: नवजात बच्चों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एंबुलेंस को न्यूनेटल एंबुलेंस कहा जाता है।
पेशेंट ट्रांसपोर्ट व्हीकल: मरीज को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए इस एंबुलेंस का इस्तेमाल किया जाता है।
एअर एंबुलेंस: इलाज के लिए पेशेंट को एक शहर से दूसरे शहर ले जाने के लिए इस प्रकार की एंबुलेंस का इस्तेमाल किया जाता है।

Posted By: Inextlive