एक कोठी से बुजुर्ग महिला का कंकाल मिला इतने संवेदनहीन हैं हम
आगरा(ब्यूरो)। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासे के बाद आगरा की यह घटना झकझोर देने वाली है। जबकि महिला ने दो माह पहले जिस कोठी में दम तोड़ा था उसकी कीमत आज की डेट में करोड़ों में है। गाजियाबाद के एक रिश्तेदार ने बात न होने पर आगरा आकर देखा तो घर पर महिला का बेड पर पड़ा कंकाल मिला।
जान लो, क्या हुआ?
थाना हरीपर्वत क्षेत्र की विजय नगर कॉलोनी की कोठी नंबर-67 में एक 72 वर्षीय महिला का गुरुवार को कंकाल मिला। जानकारी के अनुसार गाजियाबाद के लोनी के रहने वाला मृतका का भाई रणवीर ने पुलिस को सूचना दी कि इस कोठी का दरवाजा नहीं खुल रहा है। अनहोनी की आशंका पर पुलिस ने कोठी का दरवाजा तोड़ा तो सामने बेडरूम का दृश्य रोंगटे खड़े कर देने वाला था। कोठी के एक कमरे में महिला निर्मल का कंकाल बन चुका शव पड़ा था, जिसपर पुलिस ने पंचनामा भरकर पोस्टमोर्टम कराया। तफ्तीश में निकलकर आया कि बुजुर्ग महिला कोठी में अकेली रहती थीं। उनका कॉलोनी के लोगों से भी संपर्क था।
2 माह पुराना है शव
शनिवार को मृतका की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद एक ओर हर कोई अवाक था। वहीं, दूसरी ओर यह मानवता को शर्मसार करने वाला था। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि बुजुर्ग की 2 माह पहले मौत हो गई थी। किसी का कोठी में आना-जाना नहीं था, महिला किसी के संपर्क में नहीं थी। इसलिए किसी को यह जानकारी नहीं हुई। रिश्तेदार भाई भी दो माह बाद हालचाल लेने गाजियाबाद से आगरा पहुंचा। क्या किसी ने जहमत नहीं उठाई? यह जानने कि आखिर बुजुर्ग महिला गई तो गई कहां?
मां की मौत के बाद अकेली थी
रिश्तेदार भाई रणवीर ने पुलिस को बताया कि मृतका के पिता की फाउंड्री नगर में खाद बनाने की फैक्ट्री थी। पिता की 20 वर्ष पहले मौत हो चुकी है। इसके बाद निर्मल ने वहां की संपत्ति बेच दी थी। वह मां के साथ इस कोठी में रहती थीं। शादी नहीं की थी। ढाई वर्ष पहले मां की भी मौत हो गई। इसके बाद वह अकेले रहने लगीं। लोगों से मिलना-जुलना कम ही था और कोठी से बाहर आवागमन भी न के बराबर था। किंतु क्या ऐसा संभव है कि दो माह तक किसी ने महिला के बारे में जानने के प्रयास भी न किया हो। क्या कोई ऐसा व्यक्ति नहीं था जो बुजुर्ग के संपर्क में हो? यह सारे सवाल समाज के लिए एक सोचने का मुद्दा हैं, कि आखिर कितने संवेदनहीन हो गए हैं हम?
आसपास के लोगों से पता चला है कि बुजुर्ग महिला किसी सेे मिलती जुलती नहीं थीं। कोठी में भी लोगों को नहीं आने देती थीं। कोठी से बाहर बहुत कम निकलती थीं। इस कारण कॉलोनी के लोगों को उनके बारे में अधिक जानकारी नहीं थी। पीएम रिपोर्ट में पता चला है कि महिला की मौत दो महीने पहले हो चुकी है।
-अरविंद कुमार, थाना प्रभारी, थाना हरीपर्वत
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